नीट की तैयारी करने वाले छात्र एमबीबीएस में एडमिशन के लिए अपनी एड़ी-चोटी एक कर देते हैं तो उन्हें नीट में नंबर अच्छे नहीं मिलते और एडमिशन नहीं मिल पाता। वहीं, कुछ छात्र ऐसे भी होते हैं जो बिना मेहनत के चोर दरवाजे से एडमिशन ले लेते हैं। कुछ ऐसा ही एक मामला सामने आया है। झारखंड के धनबाद में SNMMCH में एक छात्रा ने फर्जी पेपर के सहारे एमबीबीएस में इनरोलमेंट ले लिया। छात्र देवघर की जसीडीह की रहने वाली है और इसका नाम रिया उपाध्याय है। इसका खुलासा ऑनलाइन एंट्री के दौरान हुआ।
जानें पूरा मामला
हिंदुस्तान लाइव के खबर के मुताबिक, SNMMCH में एक छात्रा ने फर्जी पेपर के सहारे एमबीबीएस में दाखिला ले लिया और इस बात का खुलासा होते ही कॉलेज मैनेजमेंट के हाथ-पांव फूल गए। इसके बाद मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने कार्रवाई करते हुए छात्रा का इनरोलमेंट तत्काल रद्द कर दिया। कॉलेज महकमें ने छात्रा के खिलाफ सरायढेला थाने में बुधवार को लिखित में आवेदन दिया, लेकिन किसी कारणवश पुलिस ने आवेदन नहीं लिया। मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों के मुताबिक, छात्रा ने स्टेट कोटे से एमबीबीएस में अपना इनरोलमेंट कराया। वह सोमवार को एसएनएमएमसीएच आई और उसके सारे कागजात जमा कर लिए गए। इसके बाद इनरोलमेंट की प्रक्रिया पूरी की गई, साथ ही छात्रा के इनरोलमेंट की फाइल भी बन गई।
बता दें कि झारखंड कंबाइंड इंट्रेंस कंपीटिटिव एग्जामिनेशन बोर्ड (जेसीईसीईबी) वेबसाइट पर नामांकन लेने वाले छात्र-छात्राओं की ऑनलाइन इंट्री की जाती है, जिसमें इस छात्रा की एंट्री नहीं पाई गई। इसके बाद अधिकारियों ने छात्रा के डाक्यूमेंट चेक किए। चेक करने पर पता चला कि उसने फेक अलॉटमेंट लेटर पर दाखिला कराया है। पूरे मामले का खुलासा होने के बाद अधिकारियों ने जेसीईसीईबी से पुष्टि कराई। मामला सही पाया गया। इसके बाद छात्रा का नामांकन रद्द कर दिया गया।
काउंसिलिंग में नहीं ली थी भाग
जब इस पूरे प्रकरण का खुलासा हुआ तो कॉलेज के अधिकारियों ने छात्रा संपर्क किया। बातचीत में छात्रा ने ऑनलाइन काउंसिलिंग में शामिल नहीं होने की बात कबूली। हालांकि अलॉटमेंट लेटर के बारे में उसने कुछ नहीं कहा और फोन काट दिया। वहीं,इस पूरे मामले में कॉलेज स्तर पर भी बड़ी लापरवाही हुई है। हर मेडिकल कॉलेज को जेसीईसीईबी अलॉटमेंट लेटर उपलब्ध कराती है। इनरोलमेंट के समय छात्रा के अलॉटमेंट लेटर का जेसीईसीईबी द्वारा उपलब्ध कराए गए अलॉटमेंट लेटर से गंभीरतापूर्वक मिलान नहीं कराया गया। जिस कारण शुरुआती स्तर पर मामले का पता नहीं चला और लड़की का इनरोलमेंट हो गया।
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