नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को एक ऑनलाइन समारोह में 38 शिक्षकों और प्रधानाचार्यो को सम्मानित किया। अध्यापकों को यह सम्मान स्कूली शिक्षा में सुधार, नवोन्मेष और समर्पणभाव के साथ उनके बहुमूल्य योगदान के लिए दिया गया है। सम्मान पाने वाले प्रत्येक शिक्षक एवं प्रधानाचार्य को पुरस्कार के रूप में एक प्रशस्ति पत्र, एक शॉल और 50,000 रुपये की राशि दी गई। सभी पुरस्कृत शिक्षक एवं प्रधानाचार्यों को बधाई देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, "कोरोना की वजह से पैदा हुए स्वास्थ्य आपात-काल ने पूरे देश में स्कूलों को बंद करने के लिए मजबूर कर दिया है।
आज लगभग 24 करोड़ छात्र और 95 लाख शिक्षक घर से ही पढाई कराने के लिए विवश हैं। संकट की इस घड़ी में भी उन्होनें रातों-रात दूरस्थ शिक्षा के तरीके अपना कर जिस लचीलेपन का प्रमाण दिया है,वह अभूतपूर्व है। हालांकि देश के कुछ दूरस्थ भागों में स्थिति बहुत ठीक नहीं है, परन्तु फिर भी इन्होंने धैर्य का परिचय दिया, जो एक अतुलनीय उपलब्धि है। मैं समझता हूं कि ऐसे पुरस्कार, शिक्षकों की प्रबल इच्छाशक्ति और किसी भी स्थिति में कार्य करने की भावना को सुढृढ़ करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।"
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "शिक्षक शिक्षा के मूल आधार होते हैं। अत: नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षकों को शैक्षणिक प्रणाली के केंद्र में रखा गया है। नीति में साफ तौर पर यह स्पष्ट किया गया है कि सभी विद्यालयों में पर्याप्त संख्या में शिक्षक होंगे और उनके काम करने के लिए ऐसा परिवेश दिया जाएगा, जिससे विद्यालय में उत्तम कार्य-संस्कृति का उदय हो सके।"
श्रेष्ठ शिक्षकों के चयन एवं उन्हें सम्मानित करने के लिए वर्ष 2018 से सीबीएसई द्वारा चयन की एक ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाई जाती है। आवेदकों का मूल्यांकन प्रत्येक श्रेणी के अंतर्गत सामान्य और विशिष्ट मानदंडों के साथ-साथ स्कूली शिक्षा से संबंधित कई मापदंडों और उनके योगदान के आधार पर किया जाता है।
38 पुरस्कार प्राप्तकतोओं में प्राइमरी और मिडिल स्तर के शिक्षक, भाषा शिक्षक, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, शारीरिक शिक्षा, गणित, अर्थशास्त्र, सूचना प्रौद्योगिकी, ललित कला शिक्षक, स्कूल काउंसलर, उप-प्रधानाचार्य और प्रधानाचार्य सम्मिलित हैं। यह कार्यक्रम देखने के लिए शिक्षा मंत्रालय, एनवीएस, केवीएस, सीबीएसई के कई अन्य विशिष्ट अतिथिगण तथा प्रधानाचार्य, शिक्षकगण, विद्यार्थी, अभिभावक और परिवार ऑनलाइन शामिल हुए।
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