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60 प्रतिशत लोगों का मानना, परीक्षा रद्द होने से छात्रों के करियर पर पड़ सकता है प्रतिकूल प्रभाव

सीबीएसई और सीआईएससीई की बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा भले ही रद्द हो गई हो, लेकिन आईएएनएस-सीवोटर सीबीएसई स्नैप पोल में 60 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं का मानना है कि इस कदम से छात्रों के करियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

<p>60 प्रतिशत लोगों का...- India TV Hindi Image Source : FILE 60 प्रतिशत लोगों का मानना, परीक्षा रद्द होने से छात्रों के करियर पर पड़ सकता है प्रतिकूल प्रभाव

नई दिल्ली सीबीएसई और सीआईएससीई की बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा भले ही रद्द हो गई हो, लेकिन आईएएनएस-सीवोटर सीबीएसई स्नैप पोल में 60 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं का मानना है कि इस कदम से छात्रों के करियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। सर्वे में शामिल कुल 60.6 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि रद्द करने से छात्रों के करियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिसका अर्थ है कि आगे क्या होगा, इस पर बहुत अनिश्चितता है।

एक जून को बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद आईएएनएस-सीवोटर सीबीएसई स्नैप पोल आयोजित किया गया। स्नैप पोल के लिए दो जून को संपूर्ण भारत के विभिन्न हिस्सों से कुल 5,422 लोगों से बातचीत की गई। स्नैप पोल के अनुसार, सर्वे में शामिल अधिकांश उत्तरदाताओं - 49.1 प्रतिशत - का मानना है कि सरकार को बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने के बजाय इसे स्थगित कर देना चाहिए था।

इसमें से, उत्तरदाताओं के युवा समूह के बीच इस प्रकार की राय अधिक मजबूत रही। 18-25 आयु वर्ग में, 50.8 प्रतिशत ने इस बात का समर्थन किया, जबकि 56 से अधिक आयु वर्ग में केवल 46.2 प्रतिशत ने कहा कि परीक्षा स्थगित कर दी जानी चाहिए थी।

हालांकि राजस्थान, गोवा, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तराखंड जैसे कई राज्यों ने बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा रद्द कर दी है, वहीं छत्तीसगढ़ ऑफलाइन परीक्षा आयोजित कर रहा है। कर्नाटक और ओडिशा सहित अन्य कई राज्यों ने अभी इस मामले पर अपने अंतिम निर्णय की घोषणा नहीं की है।

बड़ी संख्या में उत्तरदाताओं ने कहा कि जहां छात्रों के लिए करियर महत्वपूर्ण है, वहीं देश में घातक वायरस के प्रसार को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य जोखिमों से बचना चाहिए। उनका कहना है कि ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करना घातक साबित हो सकता है।

सर्वेक्षण में शामिल 60 प्रतिशत लोगों ने कहा कि बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा रद्द करने से छात्रों के करियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और ऐसी स्थिति से बचने के लिए, सरकार को विभिन्न परीक्षा आयोजित करने के लिए डिजिटल माध्यम जैसे वैकल्पिक तंत्र का विकल्प चुनना चाहिए।

उत्तरदाताओं का के बड़े समूह - 76.4 प्रतिशत - ने कहा कि सरकार को आईआईटी/जेईई, नीट जैसी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ ही विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश के लिए डिजिटल माध्यमों का उपयोग करने के बारे में सोचना चाहिए, ताकि छात्रों के एक वर्ष के करियर के नुकसान को रोका जा सके।हालांकि, 60 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने देश में डिजिटल या इंटरनेट के बारे में उपलब्धता को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुंच नहीं रखने वाले बच्चे नुकसानदेह स्थिति में होंगे।

बड़ी संख्या में उत्तरदाताओं ने कहा कि सरकार को भविष्य में ऐसी चुनौतियों का सामना करने के लिए देश के ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार पर काम करना चाहिए।महामारी के कारण उत्पन्न अनिश्चित परिस्थितियों और विभिन्न हितधारकों से प्राप्त प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए, केंद्र ने मंगलवार को 2021 के लिए सीबीएसई कक्षा बारहवीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया था।

सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने के सरकार के फैसले के बाद, काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) ने भी इस साल के लिए आईएससी कक्षा बारहवीं की परीक्षाओं को रद्द कर दिया। इसने यह कहते हुए परीक्षा रद्द की कि छात्रों के मूल्यांकन के लिए एक योजना की घोषणा जल्द ही की जाएगी।सीबीएसई कक्षा बारहवीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने का निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक में लिया गया था।
 

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