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Hindi News दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा- दिल्ली दंगा भी महाभारत की तरह एक षड्यंत्र था, धृतराष्ट्र की पहचान बाकी

पुलिस ने कोर्ट से कहा- दिल्ली दंगा भी महाभारत की तरह एक षड्यंत्र था, धृतराष्ट्र की पहचान बाकी

दिल्ली पुलिस ने कहा कि जिस प्रकार संस्कृत महाकाव्य महाभारत षड्यंत्र की एक कहानी थी, उसी प्रकार उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे भी कथित षड्यंत्र थे, जिसके ‘धृतराष्ट्र’ की पहचान किया जाना अभी बाकी है।

Dhritarashtra Delhi Riots, Mahabharata Delhi Riots, Mahabharata Natasha Narwal, Natasha Narwal- India TV Hindi Image Source : PTI FILE अभियोजन और बचाव पक्ष, दोनों ने अपनी दलील रखने के लिए आज के समय की तुलना पौराणिक ग्रंथों, रामायण और महाभारत के किरदारों से की। 

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने राजधानी की एक अदालत में गुरुवार को कहा कि जिस प्रकार संस्कृत महाकाव्य महाभारत षड्यंत्र की एक कहानी थी, उसी प्रकार उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे भी कथित षड्यंत्र थे, जिसके ‘धृतराष्ट्र’ की पहचान किया जाना अभी बाकी है। अदालत से जमानत का अनुरोध करने वाली आरोपी ने पुलिस की दलील की तरह अपनी दलील देते हुए कहा कि यह मामला रामायण की तरह भी नहीं हो सकता, ‘जहां हमें आखिरकार बाहर आने के लिए 14 वर्ष इंतजार करना पड़ जाए।’

दलीलों में रामायण और महाभारत की एंट्री
अभियोजन और बचाव पक्ष, दोनों ने अपनी दलील रखने के लिए आज के समय की तुलना पौराणिक ग्रंथों, रामायण और महाभारत के किरदारों से की। जेएनयू की छात्रा और ‘पिंजरा तोड़’ मुहिम की सदस्य नताशा नरवाल की जमानत याचिका पर बहस के दौरान ये दलीलें दी गईं। नरवाल को कथित रूप से दंगों की पूर्वनियोजित साजिश में भाग लेने को लेकर विधि विरुद्ध गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। उनके वकील ने कहा कि नरवाल के विरुद्ध अभियोजन पक्ष ने एक ‘चक्रव्यूह’ की रचना की है और आरोपी महाभारत के अभिमन्यु की तरह इससे निकलने का प्रयास करेंगी।

संजय की तरह है ‘दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप’
आरोपी की ओर से दलील दी गई कि उनके विरुद्ध दाखिल किया गया आरोप पत्र, महाभारत के बाद दूसरा सबसे बड़ा दस्तावेज है। इस पर, पुलिस की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने कहा कि ‘दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप’ (DPSG) नामक व्हाट्सएप ग्रुप संजय के किरदार की तरह है, जो धृतराष्ट्र को हर चीज सुनाता है। प्रसाद ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत को बताया कि DPSG ने कथित तौर पर सभी प्रदर्शन स्थलों की निगरानी की और वहां की कमान संभाली तथा इसका लक्ष्य विरोध प्रदर्शन करना नहीं, बल्कि ‘चक्का जाम’ करना था और इसकी परिणति हिंसा के रूप में होने वाली थी।

‘धृतराष्ट्र की पहचान अभी नहीं हो पाई है’
अभियोजक ने कहा, ‘आरोपी के वकील ने कहा कि आरोप पत्र महाभारत के बाद सबसे बड़ा दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि महाभारत 22,000 पृष्ठों का था और आरोप पत्र 17,000 पृष्ठों का है। मैं यह कहना चाहता हूं कि महाभारत एक षड्यंत्र की कहानी थी और संयोगवश यह मामला भी एक षड्यंत्र का है। महाभारत में संजय था, जो (दूर बैठे ही) सब कुछ देख सकता था। इस षड्यंत्र का संजय DPSG है। संजय सब कुछ धृतराष्ट्र को सुना रहा था। यहां धृतराष्ट्र की पहचान अभी नहीं हो पाई है।’

‘हमारी कोशिश अभिमन्यु जैसी होगी’
नरवाल की ओर से पेश हुए वकील अदित पुजारी ने कहा, ‘पिछली 8 सुनवाई में अभियोजन द्वारा एक चक्रव्यूह की रचना की गई है। हमारा प्रयास अभिमन्यु जैसा होगा, ताकि हम इसे भेद सकें। यह स्पष्ट है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि आरोपपत्र से प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता। यह मामला रामायण नहीं होने जा रहा है, जहां हमें इससे बाहर निकलने के लिए 14 साल का इंतजार करना पड़े। जो होगा यहीं और अभी होगा।’ वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई सुनवाई के दौरान अभियोजन और बचाव पक्ष, दोनों के वकीलों के कंप्यूटर बीच में ही ठप्प हो गए, जिन्हें फिर से चालू किया गया और आगे की दलील पेश की गई।