रियलिटी चेक: दिल्ली के ज्यादातर अस्पतालों में COVID-19 के नए रोगियों के लिए नहीं हैं खाली बेड
पिछले कुछ दिनों से लगातार कोरोना वायरस की वजह से हर रोज एक-एक हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर केस इतनी तेजी से क्यों बढ़े हैं। पहले डेथ रेट कम था, वो अचानक बढ़ कैसे गया।
नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली में गुरुवार को1359 नए मरीज सामने आए, जिसके बाद शहर में कोरोना के मामलों का आंकड़ा 25 हजार के पार चला गया। गुरुवार को दिल्ली में कोरोना वायरस की वजह से 44 और लोगों की मौत के साथ मृतकों की संख्या बढ़कर 650 हो गई।
पिछले कुछ दिनों से लगातार कोरोना वायरस की वजह से हर रोज एक-एक हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर केस इतनी तेजी से क्यों बढ़े हैं। पहले डेथ रेट कम था, वो अचानक बढ़ कैसे गया। इंडिया टीवी ने इसको लेकर गुरुवार को दिल्ली के बड़े-बड़े अस्पतालों के डॉक्टरों से बात की, हेल्थ एक्सपर्ट्स से चर्चा की और दिल्ली सरकार के हेल्थ मिनिस्टर से जानकारी ली।
दिल्ली में केस बढने को लेकर दो तीन बात कॉमन है। लॉकडाउन को खोलने के बाद पूरी दिल्ली में काम काज शुरू हो चुका है, सारी इकॉनोमिक एक्टिविटीज जारी है और ज्यादातर जगह ये दिख रहा है कि लोग सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो नहीं करते, इसलिए फिजिकल डिस्टेंस के जरिए वायरस को कंटेन करने के जो तरीके थे, वो नाकाफी साबित हो रहे है।
लेकिन एक परेशानी की बात ये भी है कि एक्सपर्टस का मानना है कि शहर में अभी कोरोना का पीक नहीं आया यानी अभी कोरोना के केसेज और बढ़ेंगे। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों ने भी बताया कि चूंकि दिल्ली में आबादी ज्यादा है, डेंसली पॉप्युलेटेड है और लॉकडाउन के बाद अब लोग बेझिझक निकलने लगे हैं तो वायरस का खतरा बढ़ रहा है।
क्यों दिल्ली में अचानक बढ़ गया मौत का आंकड़ा?
दिल्ली शहर में केस बढ़ना समझ आता है लेकिन मौत क्यों हो रही है अचानक ऐसा क्या हो गया कि दिल्ली में रोजोना 10-15 नई मौत हो रही है। क्या दिल्ली के अस्पतालों में वेटिंलेटर्स की कमी है, क्या दिल्ली के अस्पतालों में बेड्स नहीं है? कोरोना के मरीजों का सही तरीके से इलाज नहीं हो रहा तो इसपर डॉक्टरों का, दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली में कोविड-19 की वजह से ज्यादातर उन लोगों की मौत हो रही है, जो को-मोर्बिड पेशेंट्स हैं यानी ऐसे मरीज़ जो पहले से ही किसी बीमारी की चपेट में है। अगर किसी को डायबिटीज है, हाई ब्लड प्रेशर है, हार्ट की सिवियर प्रॉब्लम है, कोई पहले से ही डायलिसिस पर है। ऐसे में अगर वो कोरोना की चपेट में आ जाते हैं तो फिर उनका बचना बहुत मुश्किल हो जाता है।
दिल्ली का हेल्थ सिस्टम कैसा है?
दिल्ली सरकार का कहना है कि अस्पतालों मे बेड्स की कमी नहीं है, बेड्स वेकेंट हैं वेंटिलेटर्स भी एवेलेबल हैं और लोगों को परेशानी ना हो इसलिए 'दिल्ली कोरोना' नाम का ऐप भी है। सरकार का दावा है कि एप में अस्पतालों के अंदर बेड्स की रियल टाइम इन्फॉर्मेशन मिलती है यानी कौन से अस्पताल में कितने बेड्स ऑक्यूपाई है, कितने वेकेंट है, ये जानकारी लोगों को मिल सकती है और इसे देखने के बाद वो ये तय कर सकते हैं कि मरीज को कौन से अस्पताल ले जाना है। लेकिन हमारे रिपोर्टर्स ने जब मरीजों से रिलेटिव्स से बात की, तो ये दावा सही नहीं निकला। ऐप को लेकर जबरदस्त कन्फ्यूजन था.लोगों ने इंडिया टीवी को बताया कि अस्पताल में उतने बेड्स एवेलेबल हैं ही नहीं जितने कि एप में बताए जा रहे हैं।
मरीजों के परिवार वालों का कहना है कि जो कहा जा रहा है, जो दिखाया जा रहा है, बताया जा रहा है, वैसा कुछ भी नहीं है। बलजीत नाम एक व्यक्ति जिनकी मां कोरोना संक्रमित हैं, उन्होंने बताया कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद वो अपनी मां को लेकर दिल्ली के कई अस्पतालों में गए लेकिन किसी ने भी उन्हें एडमिट नहीं किया। सब अस्पतालों में पेशेंट को एडमिट करने से इनकार कर दिया, आखिरकार जब वो अपनी मां को लेकर जीटीबी हॉस्पिटल आए तो वहां भी एडमिट करने के लिए काफी वक्त लगा। बलजीत ने बताया कि दिल्ली के अस्पतालों की हालत ये है मरीज को ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नही आती और अस्पताल के अंदर पेशेंट की देखभाल के लिए नर्सेज की भी कमी है।