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Hindi News दिल्ली राकेश टिकैत का नया फॉर्मूला: हर गांव से 1 ट्रैक्टर, 15 आदमी और 10 दिन

राकेश टिकैत का नया फॉर्मूला: हर गांव से 1 ट्रैक्टर, 15 आदमी और 10 दिन

राकेश टिकैत ने आंदोलन और तेज करने के लिए किसानों को एक नया फॉर्मूला देते हुए कहा कि हर गांव से एक ट्रैक्टर पर 15 आदमी 10 दिन का समय लेकर आएं, और इस तरह हर किसान इस आंदोलन में शामिल हो सकेगा और गांव लौटकर खेती भी कर सकेगा।

Rakesh Tikait- India TV Hindi Image Source : PTI राकेश टिकैत का नया फॉर्मूला: हर गांव से 1 ट्रैक्टर, 15 आदमी और 10 दिन

गाजीपुर बॉर्डर: कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी है। गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आंदोलन और तेज करने के लिए किसानों को एक नया फॉर्मूला देते हुए कहा कि हर गांव से एक ट्रैक्टर पर 15 आदमी 10 दिन का समय लेकर आएं, और इस तरह हर किसान इस आंदोलन में शामिल हो सकेगा और गांव लौटकर खेती भी कर सकेगा। टिकैत ने कहा, "किसान संगठनों के नेता सरकार से बात करने के लिए हमेशा तैयार हैं, लेकिन सरकार बात ही नहीं कर रही। दरअसल, सरकार इस आंदोलन को लंबा चलने देना चाहती है।"

उन्होंने कहा कि चूंकि आंदोलन को ज्यादा लंबे वक्त तक चलाना है, इसलिए किसानों को एक फॉर्मूला बताया गया है, ताकि हर किसान भागीदारी कर सके और आंदोलन और ज्यादा लंबे वक्त तक चल सके। टिकैत ने कहा कि इस फॉर्मूले के मुताबिक यदि गांव के लोग आंदोलन के लिए कमर कस लें, तो हर गांव के 15 आदमी 10 दिन तक आंदोलन स्थल पर रहेंगे और उसके बाद 15 लोगों का दूसरा जत्था आ जाएगा। उनसे पहले जो धरना स्थल पर रहे, वे गांव जाकर अपने खेत में काम कर सकेंगे।

राकेश टिकैत ने मंच से कहा कि हर गांव से एक ट्रैक्टर, 15 आदमी और 10 दिन के फॉर्मूले पर काम करो, फिर आंदोलन चाहे 70 साल चले, कोई दिक्कत नहीं है।

दरअसल, सरकार और किसान संगठनों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, जिसमें कोई नतीजा नहीं निकल सका है। हालांकि आगे सरकार के साथ बातचीत जारी रखने पर टिकैत ने कहा, "हम मीडिया के माध्यम से सरकार से बात करने के लिए कहते रहेंगे, अब यह सरकार को देखना है कि उसके पास किसानों के लिए कब समय है।"

उन्होंने आगे कहा, "सरकार किसान आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए तमाम हथकंडे अपना रही है। किसानों से बात न करना और दिल्ली की किलेबंदी करना सरकार की इसी रणनीति का हिस्सा है। देखते हैं, सरकार कब तक किसानों की परीक्षा लेती है।"