JNU में धरना देना और नारे लगाना अब जेब पर पड़ेगा भारी, छात्रों को भरना होगा भारी-भरकम जुर्माना
JNU के नए नियमों के अनुसार, किसी भी शैक्षणिक भवन के सामने विरोध प्रदर्शन से निष्कासन, छात्रावास से निष्कासन और 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
नई दिल्ली: आपने अक्सर सुना होगा कि दिल्ली जवाहलाल नेहरु विश्वविद्यालय में छात्र धरना दे रहे हैं। वहां जबरदस्त नारेबाजी हो रही है। किसी मुद्दे को लेकर छात्र सड़कों पर उतर आये हैं। विश्वविद्यालय के अधिकारियों का घेराव कर रहे हैं। लेकिन अब ऐसा करना छात्रों को भारी पड़ेगा। अब ऐसा करने पर छात्रों के ऊपर जुर्माना लगाया जाएगा।
समाचार एजेंसी ANI ने अनुसार, JNU में छात्रों को परिसर में हिंसा करने, धरना देने और भूख हड़ताल करने पर 20,000 रुपये का जुर्माना और राष्ट्र-विरोधी नारे लगाने और धर्म, जाति या समुदाय के प्रति असहिष्णुता भड़काने पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। 24 नवंबर को विश्वविद्यालय के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय द्वारा अनुमोदन के बाद जेएनयू छात्र अनुशासन और आचरण नियम जारी किया गया है।
गाली देने पर लगेगा 50 हजार का जुर्माना
इसके साथ ही नए नियमों के अनुसार किसी छात्र पर शारीरिक हिंसा, किसी दूसरे छात्र, कर्मचारी या संकाय सदस्य को गाली देने और पीटने पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगेगा। वहीं अब शैक्षणिक भवनों के साथ जहां कक्षाएं संचालित होती हैं, वहां 100 मीटर के भीतर विरोध प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने किसी भी प्रकार के अपमानजनक धार्मिक, सांप्रदायिक, जातिवादी या राष्ट्र-विरोधी टिप्पणियों वाले पोस्टर या पंफ्लेट को छापने, प्रसारित करने या चिपकाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
हॉस्टल से भी हो सकता है निष्कासन
नए नियमों के अनुसार, अगर कोई छात्र ऐसी गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है तो उस पर या तो 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा, दो महीने के लिए छात्रावास से बेदखल कर दिया जाएगा या निष्कासित कर दिया जाएगा। वहीं ऐसे छात्रों को पढ़ाई के लिए सेमेस्टर में पंजीकरण करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ऐसे मामलों को अब विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करेगा। इसके अलावा इस पूरे मामले की जानकारी छात्रों के माता-पिता या अभिभावक को भी बताया जाएगा।
जेएनयू छात्र संघ ने किया विरोध
वहीं इन नए नियमों का जेएनयू छात्र संघ ने निंदा करते हुए कहा है कि इसका सीधा टार्गेट जीवंत परिसर संस्कृति को दबाना है जिसने दशकों से विश्वविद्यालय को परिभाषित किया है। छात्र संघ के एक सदस्य ने कहा कि इस तरह के अत्यधिक नियमों का उद्देश्य खुली चर्चा, असहमति और बौद्धिक अन्वेषण को हतोत्साहित करना है, जो हमारे विश्वविद्यालय की भावना के लिए मौलिक हैं।