नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाके इन दिनों वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति का सामना कर रहे हैं। राजधानी में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने आज से ग्रेडेड रिस्पांस एक्श प्लान (GRAP)-3 लागू कर दिया है। ग्रैप-3 लागू होने से कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। वहीं वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को कम करने के प्रयासों से जुड़े एक सवाल पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा कि हम राजधानी में कृत्रिम बारिश के लिए बार-बार प्रयास कर रहे हैं। अगर कोई इमरजेंसी जैसे हालात आते हैं या फिर इसकी बहुत जरूरत होगी तो हम कृत्रिम बारिश के विकल्प पर विचार करेंगे।
केंद्र से लेनी होती है इजाजत
गोपाल राय ने कहा कि यह बहुत कारगर हो सकता है। इसलिए, मैं एक बार फिर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से संपर्क करने की कोशिश करूंगा क्योंकि इसके लिए केंद्र से बहुत सारी अनुमतियों की जरूरत होती है। बता दें कि दिल्ली का एक्यूआई लेवल गुरुवार को 400 पार कर गया है।
दिल्ली के अलीपुर का एक्यूआई 398, आनंद विहार में 441, अशोक विहार में 440, चांदनी चौक में 347, बवाना में 455, मथुरा रोड में 399, इंदिरा गांधी एयरपोर्ट का 446, दिलशाद गार्ड में 407, नरेला में 447, दिल्ली यूनिवर्सिटी नॉर्थ कैंपस में 448, नेहरू नगर में 480, ओखला फेज 2 में 422, द्वारका में 444, पंजाबी बाग में 443, पटपड़गंज में 475, पूरा में 448, आरके पुरम में 477, रोहिणी में 458, आईटीओ में 358, जएलएन स्टेडियम में 444, जहांगीरपुरी में 468, नजफगढ़ में 404, लोधी रोड में 314 एक्यूआई दर्ज किया गया है।
कैसे होती है कृत्रिम बारिश ?
कृत्रिम बारिश क्लाउड सीडिंग के जरिए मौसम में बदलाव करने की एक वैज्ञानिक तरीका है। क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया के दौरान छोटे-छोटे विमानों को बादलों के बीच से गुजारा जाता है जो वहां सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड और शुष्क बर्फ (ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) को छोड़ते हुए निकल जाते हैं। इसके बाद बादलों में पानी की बूंदें जमा होने लगती हैं, जो बारिश के रूप में धरती पर बरसने लगती हैं। क्लाउड सीडिंग के जरिए करवाई गई आर्टिफिशियल बारिश सामान्य बारिश की तुलना में ज्यादा तेज होती है।