राजधानी दिल्ली में लौटा पॉल्यूशन सीजन, सरकार के दावे खोखले, बंद पड़े हैं दोनों एंटी स्मॉग टॉवर
दिल्ली में जो दो एंटी स्मॉग टॉवर्स है वह फिलहाल चालू नहीं है। कनॉट प्लेस में स्थित एंटी स्मोक टावर के गेट पर ताला लगा हुआ है।
देश की राजधानी दिल्ली में ठंड की दस्तक के साथ ही प्रदूषण का मौसम भी आ चुका है। दिल्ली की हवा और पानी में प्रदूषण का स्तर एक बार फिर बेहद खतरनाक होता जा रहा है। एक्यूआई का आंकड़ा कई इलाकों में 300 से ज्यादा है, जबकि आदर्श स्थिति में इसे 50 के करीब होना चाहिए। दिल्ली की हवा के साथ-साथ यमुना नदी में भी अब सफेद जहरीला झाग तैर रहा है। दिल्ली में ग्रैप-1 लागू हो चुका है। दिल्ली सरकार प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए हाई लेवल मीटिंग्स भी कर रही है। सरकार का दावा भी है कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। मगर तस्वीर उसके उलट है।
दिल्ली में जो दो एंटी स्मॉग टॉवर्स है वह फिलहाल चालू नहीं है। कनॉट प्लेस में स्थित एंटी स्मोक टावर के गेट पर ताला लगा हुआ है। कोई कर्मचारी यहां मौजूद नहीं है, जो इसे ऑपरेट करते हैं। यहां पर प्रदूषण को कम करने वाला 23 करोड़ की लागत से बना हुआ एंटी स्मॉग टावर वर्किंग कंडीशन में ही नहीं है।
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ा
दिल्ली के लोग पिछले चार दिन से बेहद खराब हवा में सांस ले रहे हैं। गुरुवार को भी दिल्ली में 13 जांच केंद्र ‘रेड जोन’ में रहे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, 13 केंद्रों (अशोक विहार, द्वारका सेक्टर 8, पटपड़गंज, पंजाबी बाग, रोहिणी, बवाना, बुराड़ी, जहांगीरपुरी, मुंडका, नरेला, ओखला फेज 2, शादीपुर और विवेक विहार) में ‘रीडिंग’ 300 से ऊपर दर्ज की गई।
दिल्ली सरकार चलाएगी विशेष अभियान
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि ज्यादा प्रदूषण वाले 13 क्षेत्रों की निगरानी के लिए ‘ग्रीन वॉर रूम’ के माध्यम से विशेष अभियान शुरू किए जाएंगे। राय ने कहा कि पर्यावरण विभाग शुक्रवार को लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), परिवहन विभाग और दिल्ली यातायात पुलिस सहित अन्य प्रमुख विभागों के साथ एक आपात बैठक बुलाएगा। आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली सरकार ने 25 सितंबर को शीतकालीन कार्य योजना जारी की थी, जिसमें मौसमी प्रदूषण से निपटने के लिए 21 रणनीतियों की रूपरेखा दी गई थी। राय ने कहा कि योजना का क्रियान्वयन पहले ही शुरू हो चुका है, जिसमें प्रदूषण नियंत्रण की निगरानी के लिए एक ‘वॉर रूम’ की स्थापना, पराली के प्रबंधन के लिए जैव घोल का छिड़काव, तथा निर्माण स्थलों को लक्ष्य बनाकर धूल रोधी अभियान चलाना शामिल है।
(दिल्ली से अनामिका गौर की रिपोर्ट)