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Hindi News दिल्ली कोरोना ने बढ़ाई टेंशन, PM मोदी 27 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों के साथ करेंगे मीटिंग

कोरोना ने बढ़ाई टेंशन, PM मोदी 27 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों के साथ करेंगे मीटिंग

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए होने वाली इस बैठक में पीएम मोदी कोरोना के फैलने से रोकने के लिये उपायों और तैयारियों की समीक्षा करेंगे। इस बैठक में पीएम मोदी के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और उनके मंत्रालय से संबंधित अधिकारियों के भी शामिल होने की संभावना है।

PM Modi- India TV Hindi Image Source : PTI (FILE PHOTO) PM Modi

नई दिल्ली: कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी ने सरकार को चिंता में डाल दिया है। देश में एक बार फिर कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ समीक्षा बैठक बुलाई है। पीएम मोदी 27 अप्रैल को देश के तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए होने वाली इस बैठक में वह कोरोना के फैलने से रोकने के लिये उपायों और तैयारियों की समीक्षा करेंगे। इस बैठक में पीएम मोदी के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और उनके मंत्रालय से संबंधित अधिकारियों के भी शामिल होने की संभावना है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने आज कहा, ''हमने फेस मास्क पहनना अनिवार्य करने और सामाजिक दूरी बनाए रखने का निर्णय लिया है। हम 27 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के बाद केंद्र सरकार की सलाह के आधार पर आगे कदम उठाएंगे।''

इस बीच राष्ट्रीय राजधानी में घरों में पृथकवास वाले कोविड रोगियों की संख्या में छह गुना से अधिक वृद्धि हुई है और आधिकारिक आंकड़े के अनुसार 11 अप्रैल को जहां ऐसे रोगियों की संख्या 447 थी, 24 अप्रैल को बढ़कर 2,812 हो गई। इस अवधि में अस्पतालों में भर्ती संक्रमितों की संख्या भी 17 से बढ़कर 80 हो गई है। हालांकि दिल्ली सरकार ने लोगों को आश्वासन दिया है कि मामले बढ़ने के बावजूद अस्पताल में भर्ती होने की दर कम बनी हुई है।

पिछले कुछ दिन में दिल्ली में संक्रमण के मामलों में तेजी देखी गई और उपचाराधीन मरीजों की संख्या 11 अप्रैल को 601 थी जो बढ़कर 3,975 हो गई है। हालांकि आंकड़ों के अनुसार अस्पताल में भर्ती होने की दर अब तक कम रही है और कुल उपचाराधीन मरीजों की तीन प्रतिशत से भी कम है।