दिल्ली अग्निकांड: दोस्त का वो आखिरी फोन, 'सांस नहीं आ रही... मैं मरने वाला हूं...परिवार का ख्याल रखना...'
इस हादसे ने दर्जनों कहानियों का अंत कर दिया। लेकिन सबसे रुला देने वाली कहानी यूपी के बिजनौर में रहने वाले मुशर्रफ की है।
दिल्ली में रविवार सुबह फिल्मिस्तान इलाके में लगी भीषण आग ने 43 जिंदगियों को मौत के हवाले कर दिया। इस अवैध फैक्ट्री में स्कूल बैग और खिलौने बनाने का काम होता था। काम करने वाले ज्यादातर मजदूर यूपी और बिहार के थे। इस हादसे ने दर्जनों कहानियों का अंत कर दिया। लेकिन सबसे रुला देने वाली कहानी यूपी के बिजनौर में रहने वाले मुशर्रफ की है। तीन बच्चों के पिता मुशर्रफ अपने दोस्त मोनू को फोन पर बता रहे थे कि अब उनकी मौत आने वाली है और कुछ देर बाद ही फोन कटता है और आवाज हमेशा-हमेशा के लिए खामोश हो जाती है।
मुशर्रफ ने आखिरी पलों में जो बातें अपनी दोस्त से की थी, वो सुन लेंगे तो कुछ मिनटों के लिए आपकी सांसें ठहर जाएगी। तीन बेटी और एक बेटा का परिवार आज बेसहारा हो गया। ये आवाज़ उन्हीं पलों की है जो आपको विचलित कर सकती है।
सुबह 5 बजे का वक्त हो रहा था और मुशर्रफ इस मकान में धुएं से घिर गया था । अपनी पत्नी को फोन मिला रहा था लेकिन नेटवर्क काम नहीं कर रहा था । मुशर्रफ को अपने दोस्त मोनू की याद आई । उसके बाद उसने मोनू से वो कहा जिसे सुनकर हर किसी की आंखें गील हो गई।
मौत को मुशर्रफ महसूस कर चुका था, दोस्त से बार बार यही कह रहा था कि अब मैं मरने वाला हूं । परिवार का ख्याल रखना। उसके सामने लोग दम तोड़ते जा रहे थे। सांसें रुकती जा रही थी और आग फैलती जा रही थी। मुशर्रफ की जुबान लड़खड़ाने लगी थी... उसका दम टूट रहा था... मुशर्रफ को कहीं से हवा नहीं मिल पा रही थी... उसके शरीर में बचा ऑक्सीजन उसको मरने नहीं दे रहा था लेकिन अगले ही कुछ पलों में उसकी टूटती सांसों की आवाज आनी भी बंद हो गई..
परिवार को एक मात्र सहारा था मुशर्रफ
10 साल से मुशर्रफ दिल्ली में रहकर परिवार वालों को पैसा भेजता था। मुशर्रफ परिवार का अकेला कमाने वाला बेटा था। बिजनौर में 10 साल पहले शादी हुई थी। मुशर्रफ की तीन बेटी और एक बेटा है। मुशर्रफ बूढ़ी मां का अलग इलाज करा रहा था। पिता की कुछ दिनों पहले मौत हो गई थी, कर्ज लेकर इलाज करा रहा था । कर्जे को उतार पाता उससे पहले ही जिंदगी खत्म हो गई।