नई दिल्ली: दिल्लीवालों को लगातार बढ़ते प्रदूषण और धुंध से बचाने के लिए अब आर्टिफिशियल बारिश का सहारा लिया जाएगा। चीन समेत दुनिया भर के कई देशों में इस तरह की आर्टिफिशियल बारिश कराई जाती है। केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने कहा है कि अगर दिल्ली में प्रदूषण का स्तर और बिगड़ता है तो कृत्रिम बारिश के ज़रिये इस समस्या से निजात पाने की कोशिशें की जायेंगी।
चीन में कृत्रिम बारिश का ये फॉर्मूला खूब अपनाया जाता है। इसके लिए पहले क्लाउड का चयन होता है। उसके बाद उसमें राकेट जैसे दिखने वाले इंस्ट्रूमेंट से केमिकल आकाश में भेजे जाते हैं जिससे कृत्रिम बारिश होती है। वैज्ञानिक भाषा में इसे क्लाउड सीडिंग कहते हैं। महेश शर्मा ने कहा कि विश्व में कई जगहों पर इसके अच्छे नतीजे मिले हैं। विशेष परिस्थिति में दूसरे प्रदूषित मेट्रो शहरों में भी कृत्रिम बारिश की योजना पर काम जारी है। इसमें केंद्र और राज्य सरकारें मिलजुलकर काम कर रही हैं।
इसे लेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सभी सुरक्षा मंजूरी हासिल कर ली हैं। पर्यावरण मंत्रालय की इस योजना में आइआइटी कानपुर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) व वायुसेना जैसी सरकारी एजेंसियां शामिल हैं। कृत्रिम बारिश पर 20 लाख रुपये खर्च होंगे। इसके लिए विशेष विमान से लेकर मशीनरी व बादलों के बीच रिएक्शन कराने के लिए केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है।
पर्यावरण मंत्रालय एयर फोर्स की मदद ले रहा है, जो विमान मुफ्त देगा। उपकरण आइआइटी कानपुर देगा। पर्यावरण मंत्रालय को सिर्फ केमिकल उपलब्ध कराना होगा, जो बादलों के बीच रासायनिक क्रिया कर उन्हें बारिश के बूंदों में बदल देता है।