नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गौर किया है कि आप सरकार ने निजी स्कूलों को शिक्षण शुल्क (ट्यूशन फीस) के अलावा अन्य कोई शुल्क मांगने से रोक दिया है। अदालत के अनुसार ट्यूशन फीस की मांग उचित है क्योंकि शिक्षक कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन के दौरान भी ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं और अपना काम कर रहे हैं। अदालत ने इस संबंध में एक याचिका का निपटारा करते हुए दिल्ली सरकार के एक आदेश का जिक्र किया कि जो छात्र वित्तीय संकट के कारण फीस देने में असमर्थ हैं, उन्हें भी ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ उठाने की अनुमति दी जाएगी।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए याचिका पर सुनवाई की। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने इस मुद्दे पर संज्ञान लिया है और यह नीतिगत मामला है इसलिए अदालत इसमें हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है। अदालत ने यह आदेश सोमवार को पारित किया और मंगलवार को इसे अपलोड किया गया। याचिका में दिल्ली सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि निजी स्कूलों में फीस स्थगित की जाए या अप्रैल से जून तक के लिए परिवहन शुल्क और अन्य शुल्कों में छूट दी जाए।
याचिकाकर्ता और अधिवक्ता रजत वत्स ने दलील दी कि लॉकडाउन अवधि के दौरान, दिल्ली के विभिन्न निजी स्कूलों के छात्रों द्वारा परिवहन शुल्क, पाठ्येतर गतिविधियों के लिए शुल्क और अन्य शुल्क का भुगतान नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने अनुरोध किया कि चूंकि स्कूल काम नहीं कर रहे हैं, इसलिए शिक्षण शुल्क का भुगतान भी स्थगित किया जाना चाहिए। दिल्ली सरकार के स्थायी वकील रमेश सिंह ने अदालत को बताया कि अधिकारी याचिका में उठाए गए मुद्दों के बारे में पूरी तरह से सचेत हैं और 17 अप्रैल को, शिक्षा निदेशालय पहले ही आदेश जारी कर चुका है कि शिक्षण शुल्क को छोड़कर कोई अन्य शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए।