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Hindi News दिल्ली Mundka Fire: दो सप्ताह बाद भी नहीं मिले मृतकों के शव, परिजनों का छलका दर्द

Mundka Fire: दो सप्ताह बाद भी नहीं मिले मृतकों के शव, परिजनों का छलका दर्द

दिल्ली के मुंडका में आग लगने की त्रासद घटना को लगभग दो सप्ताह हो गए हैं लेकिन कई मृतकों के परिजन अब भी उनके शवों का इंतजार कर रहे हैं। बाहरी दिल्ली के मुंडका में 13 मई को एक चार मंजिला इमारत में आग लग गई थी जिससे कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य झुलस गए।

Family awaits dead bodies of their loved ones even after two weeks of fire in Mundka - India TV Hindi Image Source : PTI Family awaits dead bodies of their loved ones even after two weeks of fire in Mundka 

Highlights

  • दिल्ली के मुंडका में हुई थी आग की त्रासद घटना
  • शवों के इंतजार में भटक रहे मृतकों के परिजन
  • शवों के इंतजार में भटक रहे मृतकों के परिजन

Mundka Fire: दिल्ली के मुंडका में आग लगने की त्रासद घटना को लगभग दो सप्ताह हो गए हैं लेकिन कई मृतकों के परिजन अब भी उनके शवों का इंतजार कर रहे हैं। बाहरी दिल्ली के मुंडका में 13 मई को एक चार मंजिला इमारत में आग लग गई थी जिससे कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य झुलस गए। दिल्ली पुलिस ने पहले कहा था कि उसने डीएनए जांच के लिए 26 ऐसे लोगों के जैविक नमूने एकत्र किये हैं जिनके परिजनों के बारे में माना जा रहा है कि आग में उनकी मौत हो गई। 

"नहीं पता कब कर पाएंगे अंतिम संस्कार" 

गौरतलब है कि दिल्ली के मुंडका में आग लगने की घटना के बाद अब तक 27 शव निकाले गए हैं जिनमें से केवल आठ की पहचान हुई है। इस त्रासदी के शिकार लोगों में से एक 22 वर्षीय मोनिका के परिवार का कहना है कि मोनिका के शव के हिस्से को उन्हें नहीं दिया गया है और उन्हें नहीं पता कि वे उसका अंतिम संस्कार कब कर पाएंगे। अन्य मृतकों के परिजन ने कहा कि वे अस्पताल और पुलिस थाने का चक्कर लगाकर थक गए हैं लेकिन उनके रिश्तेदारों के शव अभी तक प्राप्त नहीं हुए। 

"साढ़े सात हजार रुपये थी तनख्वाह"

पुलिस उपायुक्त (बाहरी) समीर शर्मा ने कहा कि उन्हें अगले सप्ताह तक फोरेंसिक जांच के परिणाम मिलने की उम्मीद है। मोनिका के पिता ने कहा कि उन्होंने यह कड़वा सच स्वीकार कर लिया है कि उनकी बेटी अब उनके साथ नहीं है। उन्होंने कहा, “अब हमें उसके शव के लिए लड़ने पर मजबूर किया जा रहा है। हम उसका अंतिम संस्कार करना चाहते हैं ताकि उसकी आत्मा को शांति मिले।” मोनिका अपने माता पिता की सबसे बड़ी संतान थी और उसके तीन भाई तथा एक बहन है। मोनिका ने फरवरी में फैक्टरी में काम करना शुरू किया था और वह साढ़े सात हजार रुपये प्रतिमाह कमाती थी। उसके पिता ने कहा कि उन्होंने डीएनए जांच के लिए 14 फरवरी को रक्त का नमूना दिया था लेकिन तब से अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है। 

आशा का शव मिलने की 'आशा'

आग लगने की घटना की एक और शिकार आशा के परिजनों की भी ऐसी ही व्यथा है। आग जैसे ही लगी आशा के परिजन तत्काल उसे बचाने के लिए मौके पर पहुंचे लेकिन उन्हें वह नहीं मिली। तभी से उसके परिवार वाले उसका शव लेने के लिए अस्पताल और पुलिस थाने के चक्कर लगा रहे हैं। आशा के भाई ने कहा, “हर दिन बहुत कष्टदायक बीत रहा है। हम परेशान हैं। हमें कुछ शांति चाहिए। घर घर जैसा नहीं लग रहा।” उन्होंने कहा, “कम से कम हमें हमारे रिश्तेदारों के शव मिलने चाहिए ताकि हम उनका अंतिम संस्कार कर सकें। हर दिन हम यहां वहां शव के लिए भटक रहे हैं।” 

क्यों लग रहा इतना समय?

यहां रोहिणी स्थित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐसे मामलों में फोरेंसिक नमूने की जांच में अधिक समय लगता है। उन्होंने कहा, “हमें सौ से ज्यादा नमूने मिले हैं और उनकी जांच की जा रही है। ऐसे मामलों में ज्यादा समय लगता है।” अधिकारी ने कहा, “वर्तमान में कई नमूनों की जांच चल रही है और इससे कई रिपोर्ट निकलेगी। यह सब तय नियमों के अनुसार किया जा रहा है और यह कई चरणों वाली प्रक्रिया है, चाहे नमूनों को अलग-अलग करना हो या उनकी सफाई करनी हो, इसमें समय लगता है।”