MCD Election 2022: दिल्ली में परिसीमन खत्म होने के बाद अब कभी भी चुनावी बिगुल बज सकता है। ऐसा उम्मीद किया जा रहा है कि दिसम्बर तक MCD के चुनाव हो सकते हैं। आम आदमी पार्टी, बीजेपी समेत सारे दलों ने अपनी चुनावी तैयारी तेज कर दी है। कल ही गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का उद्घाटन करके दिल्लीवासियों को रिझाने का काम शुरू कर दिया है तो आम आदमी पार्टी लगातार बीजेपी पर सवाल खड़े कर रही है। आइए इस रिपोर्ट के माध्यम से एमसीडी के चुनावी गुणा गणित को समझते हैं
मार्च 2022 में पास हुआ था दिल्ली नगर निगम संसोधन विधेयक
इस साल मार्च में लोकसभा में दिल्ली के तीनों निगमों को एक करने का प्रस्ताव पारित किया गया था जिसके बाद से तीनों निगमों को एक करके परिसीमन का काम शुरू हुआ था। आम आदमी पार्टी ने केंद्र के फैसले का विरोध करते हुए कहा था कि बीजेपी तीनों निगमों को एक करके दिल्ली में सामानांतर सरकार चलाना चाहती है। AAP ने इसको लेकर उपराज्यपाल पर भी गंभीर आरोप लगाये थे। ऐसा नहीं है कि पहली बार तीनों निगमों को एक किया जा रहा है बल्कि साल 2012 के पहले तीनों निगम एक ही थे लेकिन उस समय की तात्कालिक शिला दीक्षित सरकार ने अलग करने का फैसला किया था।
2017 में क्या थे नतीजे?
साल 2017 जब तीनों निगमों के अलग-अलग चुनाव हुए थे तब बीजेपी ने 3-0 से क्लीन स्वीप कर लिया था और आम आदमी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। तीनों निगमों के 272 वार्डों में से 270 वार्डों के लिए चुनाव हुए थे जिसमें बीजेपी ने 181 सीटों पर अपना परचम लहराया था वहीं आम आदमी को 48 सीटें मिली थी जबकि कांग्रेस को 30 तो अन्य के खाते में 11 सीट गए थे ।
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य
परिसीमन के बाद सभी राजनीतिक दल चुनावी मोड में आ गए हैं। आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस समेत सारे दल इस बार कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते। आम आदमी पार्टी जहां पंजाब विधानसभा चुनावों में जीत के बाद जोश से लबालब है तो वहीं भाजपा को 2017 की ही तरह फिर से एक बड़ी जीत का इंतजार है। तो कांग्रेस पार्टी भी अपनी जीत का दावा कर रही है।
क्या हैं चुनावी मुद्दे??
बीजेपी के लिए इस चुनाव में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा रहेगा। मनीष सिसोदिया के उपर कथित तौर लगे शराब घोटाले के आरोपों को बीजेपी इस चुनाव में भुनाने की भरपूर कोशिश करेगी। आपको बता दें कुछ दिनों पहले ही मनीष सिसोदिया से सीबीआई ने दफ़्तर बुलाकर घंटों पूछताछ की थी। तो वहीं आम आदमी पार्टी ने कुछ महीने पहले एमसीडी में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था और पैसे के हेर-फेर का आरोप लगाया था। कुल मिलाकर कहें तो इस चुनाव में पानी, बिजली के साथ-साथ भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा हो सकता है।
किसका पलड़ा भारी?
आने वाले एमसीडी चुनावों में कांटे की लड़ाई देखने को मिलेगी। किसी के जीत का आकलन करना बेमानी होगी लेकिन ये बात तो तय है कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच में सीधा मुकाबला होने वाला है।