मनीष सिसोदिया जेल से हुए रिहा, हरियाणा और दिल्ली विधानसभा चुनाव से आप को मिली बड़ी राहत
आम आदमी पार्टी के नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तिहाड़ जेल से बाहर आ चुके हैं। आगामी कुछ महीनों में हरियाणा और दिल्ली में चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए यह राहतभरी खबर है।
आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया को जमानत मिलने से पार्टी को ऐसे समय में बड़ी राहत मिली है जब वह अगले कुछ महीनों में होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव और दिल्ली चुनाव की तैयारी कर रही है। उच्चतम न्यायालय से सिसोदिया को जमानत मिलने का ‘आप’ के लिए इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था क्योंकि पार्टी भ्रष्टाचार के आरोपों में अपने शीर्ष नेताओं के जेल में बंद होने के कारण अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए जूझ रही है। सिसोदिया को पिछले साल 26 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी से पहले, सिसोदिया दिल्ली सरकार का न केवल प्रमुख चेहरा थे, बल्कि महत्वपूर्ण समय में संकट से निपटने और राजनीतिक एवं राष्ट्रीय मुद्दों पर ‘आप’ का रुख सामने रखने के लिए पार्टी के सबसे भरोसेमंद व्यक्ति भी थे।
सिसोदिया की गिरफ्तारी पार्टी के लिए था झटका
उनके न केवल पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल बल्कि कई अन्य नेताओं के साथ भी अच्छे संबंध थे। इसलिए, उनकी गिरफ्तारी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका थी, जो किसी तरह इस स्थिति से निपटने में सफल रही, लेकिन उनकी अनुपस्थिति से कभी पूरी तरह से उबर नहीं सकी। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली की आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धनशोधन के मामलों में सिसोदिया को शुक्रवार को जमानत देते हुए कहा कि वह 17 माह से हिरासत में हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव और दिल्ली चुनाव से पहले सिसोदिया को जमानत मिलना संकटग्रस्त पार्टी के लिए बड़ी राहत की बात है। पार्टी नेताओं ने दावा किया कि सिसोदिया की रिहाई ‘आप’ को बदनाम करने के ‘‘अभियान’’ के लिए झटका है।
दुर्गेश पाठक बोले- फर्जी मामले में 17 महीने तक जेल में रखा गया
वरिष्ठ पार्टी नेता दुर्गेश पाठक ने कहा, ‘‘सिसोदिया बहुत अच्छा काम कर रहे थे और उन्हें एक फर्जी मामले में 17 महीने तक जेल में रखा गया। उनकी गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली के लोगों में गुस्सा था और उनकी रिहाई से हमारी पार्टी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हम पिछली बार से दो या चार सीट ज्यादा जीतेंगे। वास्तव में, मुझे लगता है कि हम विपक्ष का सूपड़ा साफ करेंगे।’’ पार्टी नेताओं का मानना है कि सिसोदिया की मौजूदगी से उनके चुनाव प्रचार अभियान को खासकर दिल्ली में मजबूती मिलेगी, जहां पार्टी लगातार तीसरी बार जीत की उम्मीद कर रही है और 2015 एवं 2020 जैसा प्रदर्शन करने का लक्ष्य लेकर चल रही है, जब उसने कुल 70 सीट में से क्रमश: 67 और 62 सीट जीती थीं।
संजय सिंह बोले- सिसोदिया को जमानत मिली, कार्यकर्ताओं में उत्साह
‘आप’ के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा, ‘‘सिसोदिया को जमानत मिलने के बाद आप कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह है। इसका असर आने वाले चुनावों में दिखेगा। हमें उम्मीद है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी जल्द ही जेल से बाहर आ जाएंगे।’’ ‘आप’ के वरिष्ठ नेताओं की गिरफ्तारी के कारण पार्टी के लिए 2022 से 2024 तक का समय उथल-पुथल भरा रहा है। इस अवधि के दौरान पार्टी ने चुनावी लाभ और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने तक का सफर देखा है, लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि यह सफर अत्यधिक उतार-चढ़ाव भरा रहा है। यह सब मई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के धनशोधन के मामले में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के साथ शुरू हुआ।
सिसोदिया ने की थी अपनी गिरफ्तारी की भविष्यवाणी
उसी वर्ष जुलाई में उपराज्यपाल वी.के.सक्सेना ने नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियागत खामियों को लेकर आबकारी नीति की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश की थी। इस घटनाक्रम ने सिसोदिया की गिरफ्तारी की अटकलें को हवा दी थी जिन्होंने उस नीति को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। इस नीति के तहत 32 क्षेत्रों में विभाजित राष्ट्रीय राजधानी में 849 दुकानों के लिए निजी बोलीदाताओं को खुदरा लाइसेंस दिए गए थे। सिसोदिया ने खुद अपनी गिरफ्तारी के बारे में भविष्यवाणी की थी। उन्होंने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उनसे ‘आप’ को तोड़ने और भाजपा से हाथ मिलाने के लिए संपर्क किया था। उन्हें आखिरकार सीबीआई ने 26 फरवरी को और फिर अगले महीने आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया।
सत्येंद्र जैन के साथ दिया था इस्तीफा
जैन के साथ उन्होंने पिछले साल दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद आतिशी और सौरभ भारद्वाज को मंत्री बनाया गया। कुछ महीने बाद अक्टूबर में, सिंह को आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उनकी किस्मत अपनी पार्टी के अन्य सहयोगियों की तुलना में अच्छी रही और उन्हें इस वर्ष अप्रैल में जमानत मिल गई। ईडी ने केजरीवाल को 21 मार्च को आबकारी नीति मामले में गिरफ्तार किया था। उन्हें मई में लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। उन्होंने दो जून को आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्हें 26 जून को सीबीआई ने तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। हालांकि, मुख्यमंत्री को ईडी मामले में उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिल गई है, लेकिन सीबीआई मामले के कारण वे अब भी जेल में हैं। सिसोदिया की जमानत से पार्टी में उम्मीद जागी है कि केजरीवाल और जैन भी जल्द ही बाहर आ सकते हैं।
(इनपुट-भाषा)