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दिल्ली में उपराज्यपाल के अधिकार बढ़े, बोर्ड और आयोगों में कर सकेंगे नियुक्तियां, नोटिफिकेशन जारी

उनके पास यह अधिकार होगा कि वे प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग और वैधानिक निकाय में सदस्यों की नियुक्ति कर सकेंगे। सरकार की ओर से इस संबंध में गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है।

vinay kumar saxena- India TV Hindi Image Source : FILE विनय कुमार सक्सेना

 नई दिल्ली:  दिल्ली में अब उपराज्यपाल के अधिकारों को बढ़ा दिया गया है। उनकी प्रशासनिक शक्तियां पहले से ज्यादा बढ़ा दी गई हैं। वे अब बोर्ड और आयोगों में नियुक्तियां कर सकेंगे। इस संबंध में गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।

गजट नोटिफिकेशन जारी

जानकारी के मुताबिक राष्ट्रपति ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना के अधिकारों और बढ़ दिया है। उनके पास यह अधिकार होगा कि वे  प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग और वैधानिक निकाय में सदस्यों की नियुक्ति कर सकेंगे। सरकार की ओर से इस संबंध में गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है।

गृह मंत्रालय ने जारी नोटिफिकेशन में कहा, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शासन अधिनियम, 1991 (1992 का 1) की धारा 45डी के साथ पठित संविधान के अनुच्छेद 239 के खंड (1) के अनुसरण में, राष्ट्रपति एतद्द्वारा निर्देश देते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल, राष्ट्रपति के नियंत्रण के अधीन रहते हुए और अगले आदेश तक, किसी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी भी वैधानिक निकाय, चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए, के गठन के लिए या ऐसे प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी भी वैधानिक निकाय में किसी सरकारी अधिकारी या पदेन सदस्य की नियुक्ति के लिए उक्त अधिनियम की धारा 45डी के खंड (ए) के तहत राष्ट्रपति की शक्तियों का प्रयोग करेंगे।

टकराव बढ़ने की संभावना

राष्ट्रपति के नए आदेश से दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव बढ़ने की संभावना है। पिछले साल राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 को अपनी मंजूरी दे दी थी। इसका आम आदमी पार्टी ने कड़ा विरोध किया था। इसमें कहा गया था कि अधिकारियों का ट्रांसफर और उनकी नियुक्तियां अब राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) की ओर से की जाएंगी। इस निकाय की अध्यक्षता मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल करेंगे और दिल्ली सरकार के दो सीनियर ब्यूरोक्रैट इसके सदस्य होंगे। प्राधिकरण को बहुमत से निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है और अंतिम निर्णय उपराज्यपाल के पास है।