कंझावला कांड में गृह मंत्रालय का बड़ा एक्शन, पीसीआर में तैनात सभी पुलिसकर्मी सस्पेंड, जांच अधिकारी पर भी गिरी गाज
गृह मंत्रालय ने इस मामले में कोताही बरतने के चलते जांच अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिल्ली पुलिस कमिश्नर को दिया है।
नई दिल्ली: दिल्ली के कंझावला कांड में गृह मंत्रालय ने बड़ा एक्शन लेते हुए घटना की रात तीन पीसीआर और दो पुलिस चौकी में तैनात सभी पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही इस मामले में कोताही बरतने के चलते जांच अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिल्ली पुलिस कमिश्नर को दिया है।
जल्द से जल्द आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश
अधिकारियों ने बताया कि बताया कि गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को पीसीआर वैन, जांच चौकी के पर्यवेक्षण अधिकारियों को अपना कर्तव्य निभाने में असफल रहने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया है। विशेष आयुक्त शालिनी सिंह की अध्यक्षता वाली जांच समिति द्वारा एक रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद यह कार्रवाई की गई। अधिकारियों ने कहा कि उस रात ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी। गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को मामले में जल्द से जल्द आरोपपत्र दायर करने का निर्देश दिया है ताकि दोषियों को सजा मिल सके। दिल्ली पुलिस को भी यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है कि जांच में कोई शिथिलता न हो और वे जांच की प्रगति के संबंध में गृह मंत्रालय को पाक्षिक रिपोर्ट सौंपे।
गृह मंत्रालय ने कहा कि राजधानी में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार के लिए भी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि लोग, खासकर महिलाएं और बच्चे भयमुक्त माहौल में रह सकें। इस संबंध में गहन जांच की जाएगी कि क्या बेहतर समन्वय के लिए पीसीआर वैन इकाइयों को जिला पुलिस के साथ जोड़ दिया जाए। पीसीआर वैन को कुछ साल पहले जिला पुलिस से अलग कर दिया गया था। बाहरी दिल्ली में उन इलाकों की पुलिस द्वारा उचित जांच की जाएगी जहां सीसीटीवी कैमरे कम हैं या नहीं हैं और जिन इलाकों में ‘स्ट्रीट लाइट’ नहीं है। पुलिस ऐसे क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे और ‘‘स्ट्रीट लाइट’’ लगाने के लिए नागरिक एजेंसियों के साथ समन्वय करेगी।
टक्कर के बाद युवती को 12 किमी घसीटा था
बता दें कि अंजलि सिंह (20) नाम की युवती की स्कूटी को एक कार ने 31 दिसंबर और एक जनवरी की दरमियानी रात को टक्कर मार दी थी, जिसमें वह कार के नीचे फंस गईं और वाहन के साथ सड़क पर करीब 12 किलोमीटर तक घसीटे जाने के कारण उसकी मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में अब तक कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इस मामले में दीपक खन्ना (26), अमित खन्ना (25), कृष्ण (27), मिथुन (26) और मनोज मित्तल को पहले गिरफ्तार किया था। बाद में दो और लोगों- आशुतोष व अंकुश खन्ना - को कथित तौर पर साक्ष्य छिपाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
गुजरात की फोरेंसिक टीम साक्ष्य जुटाएगी
कंझावला कांड में साक्ष्य और नमूने एकत्र करने के लिए गुजरात के फोरेंसिक विशेषज्ञ सुल्तानपुरी का दौरा करेंगे। दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता सुमन नलवा ने बताया कि मामले की जांच कर रहे डीसीपी (बाहरी) हरेंद्र के.सिंह के अनुरोध पर राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के पांच फोरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम दौरा कर रही है।
अदालत ने आरोपी आशुतोष भारद्वाज की जमानत अर्जी खारिज की
दिल्ली की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को कंझावला कांड में आरोपी आशुतोष भारद्वाज की जमानत अर्जी खारिज कर दी। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सान्या दलाल ने कहा कि अपराधों की गंभीरता को देखते हुए, जांच प्रारंभिक स्तर पर होने के तथ्य पर विचार करते हुए अदालत जमानत देने की पक्षधर नहीं है। अतिरिक्त सरकारी अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि भारद्वाज ने यह कहकर जांच को भटकाने का प्रयास किया कि सह-आरोपी दीपक कार चला रहा था।
इनपुट-भाषा