राघव चड्ढा और परिणीति चोपड़ा के घर पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज, देखें तस्वीरें
दिल्ली में राघव चड्ढा और परिणीति चोपड़ा का घर है। यहां स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कुछ समय तक रुके और राघव-परिणीति को आशीर्वाद प्रदान किया।
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज शनिवार (26 अक्टूबर) को राघव चड्ढा और परिणीति चोपड़ा के घर पहुंचे। दिल्ली में राघव चड्ढा और परिणीति चोपड़ा का घर है। यहां स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कुछ समय तक रुके और राघव-परिणीति को आशीर्वाद प्रदान किया। इस दौरान राघव और परणीति ने आरती कर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज का आशीर्वाद लिया।
राघव चड्ढा ने सिर रखकर स्वामी का आशीर्वाद लिया। राघव और परणीति नारियल लेकर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज की भक्ति करते दिखे।
एक लाख ‘गौ ध्वज’ स्थापित करने का ऐलान कर चुके हैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
28 सितंबर (शनिवार) को ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा था कि हिंदुओं के लिए पूज्य गायों की रक्षा के लिए देशभर में एक लाख ‘गौ ध्वज’ स्थापित किए जाएंगे। शंकराचार्य पश्चिमी त्रिपुरा के तुलाकोना में गौ ध्वज स्थापित करने के लिए त्रिपुरा गए थे। उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि देश की आजादी से पहले भी गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने की जोरदार मांग उठती रही है। उन्होंने कहा था, ‘‘यह व्यापक रूप से माना जाता था कि ब्रिटिश शासकों के देश छोड़ने के बाद गायों की हत्या पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा, लेकिन पिछले 78 वर्षों से ऐसा नहीं हुआ। कई सरकारें आईं और गईं लेकिन यह मुद्दा अनसुलझा है। गाय की पूजा करने वाले हिंदू निराश हैं।’’ गायों की रक्षा और उनके सम्मान के लिए देश में एक लाख ‘गौ ध्वज’ स्थापित करने की बात कहते हुए शंकराचार्य ने गायों की हत्या करने वालों को दंडित करने के लिए कानून बनाने की मांग की थी।
लोग खान-पान में बदलाव करेंगे
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा था ‘‘हम गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकारी मदद लेने के बजाय गौमाता की गरिमा और सम्मान का संदेश लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।’’ शंकराचार्य ने कहा था कि पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में कुछ लोगों ने गौशालाओं की स्थापना का विरोध किया। वह नगालैंड जैसे राज्यों का जिक्र कर रहे थे, जहां अधिकतर लोग गौवंश का मांस खाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘विरोध या आलोचना का मतलब है कि लोग इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं। मेरा मानना है कि जब लोग समझ जाएंगे तो वे अपनी खान-पान की आदतों में बदलाव करेंगे।’’