दिल्ली की इन गलियों में टाइम बम बन रहीं फैक्ट्रियां, बिना सेफ्टी और NOC के चल रहे अवैध कारखाने
पश्चिमी दिल्ली मोती नगर के सुदर्शन पार्क की संकरी और भीड़भाड़ वाली गलियां मजदूरों के लिए एक आग का गोला हैं क्योंकि नगर निकाय अधिकारियों की नाक के नीचे इलाके में कई अवैध कारखाने चल रहे हैं।
दिल्ली के चांदनी चौक के भागीरथ पैलेस बाजार में 24 नवंबर को भीषण आग लगी थी। इस आग को बुझाने में दिल्ली पुलिस को 24 घंटे से भी ज्यादा मशक्कत करनी पड़ी थी। आग से 150 दुकानें जलकर खाक हो गईं और चार इमारतें ढह गईं। इस आग में वहां के व्यापारियों का करोड़ों का माल नष्ट हो गया। लटकते तार, ओवरलोडेड सर्किट, पुरानी इमारतें, पानी की कमी और संकरी गलियां फायर ब्रिगेड और उनके उपकरणों के लिए बाधा पैदा कर रही हैं। हालांकि, गनीमत रही कि इस घटना में किसी की जान नहीं गई।
अधिकारियों की नाक के नीचे चल रहे अवैध कारखाने
पश्चिमी दिल्ली मोती नगर के सुदर्शन पार्क की संकरी और भीड़भाड़ वाली गलियां मजदूरों के लिए एक आग का गोला हैं क्योंकि नगर निकाय अधिकारियों की नाक के नीचे इलाके में कई अवैध कारखाने चल रहे हैं। मजदूरों के पास रोजी-रोटी कमाने के लिए खतरनाक इमारतों में इन अवैध फैक्ट्रियों में काम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। कुछ श्रमिक इन छोटी इकाइयों के पास या ऐसे कारखानों के छत पर भी रह रहे हैं।
गैस कंप्रेसर फटने से सात लोगों की गई थी जान
गौरतलब है कि 2019 में, सुदर्शन पार्क क्षेत्र में एक यूनिट में गैस कंप्रेसर फटने से सात लोगों की जान चली गई थी। आज तक कारखाने बिना एनओसी या सुरक्षा उपकरणों के चल रहे हैं। इन सात लोगों की जान बचाई जा सकती थी अगर नगरपालिका अधिकारियों ने उनके पास दर्ज कई शिकायतों पर कार्रवाई की होती। निवासियों ने दावा किया कि इमारत के संबंध में कई बार शिकायतें की गईं और यहां तक कि सात लोगों की जान लेने वाली इमारत को एसडीएमसी द्वारा खतरनाक घोषित किया गया था, लेकिन कारखाने चालू थे।
फैक्ट्री में काम करने वाले श्रमिक रोजी-रोटी को मजबूर
साथ ही, वहां रहने वाले लोगों ने दावा किया कि घटना के चार दिन पहले अधिकारियों द्वारा क्षेत्र में एक अवैध कारखाने को सील कर दिया गया था। नगरपालिका अधिकारियों ने दावा किया कि जब उनकी टीम ने क्षेत्र का दौरा किया तो 670 इकाइयों को सील कर दिया गया था या खाली पाया गया था। इलाके की एक जूता फैक्ट्री में काम करने वाले निरंजन ने कहा, हमारे पास यहां काम करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। कम से कम हम अपने परिवार के लिए एक वक्त की रोटी तो जुटा ही पा रहे हैं। ऐसे माहौल में काम करने के जोखिमों को जानने के बावजूद, यहां के श्रमिक कभी भी अपनी चिंता नहीं जताते क्योंकि यह उनकी आय का एकमात्र स्रोत है।
सुदर्शन पार्क इलाके में कई छोटी-छोटी अवैध फैक्ट्रियां
एक निवासी सुनील कश्यप ने कहा, यहां के अधिकांश कर्मचारी दिल्ली के बाहर से हैं। अगर वे कुछ भी कहते हैं या मालिक से वेतन बढ़ाने के लिए कहते हैं, तो उन्हें मौके पर ही निकाल दिया जाता है। यह क्षेत्र की एकमात्र अवैध इकाई नहीं है। मोती नगर के सुदर्शन पार्क इलाके में दो या चार मंजिला मकानों में कई छोटी-छोटी अवैध फैक्ट्रियां संचालित हैं, जो बिना किसी डर के चलाई जा रही हैं।