नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को कहा कि उनका कोरोना के खिलाफ लड़ाई में होम आइसोलेशन कार्यक्रम सबसे सफल कदमों में से एक रहा है। उन्होनें कहा कि हमने प्रतिदिन निगरानी और परामर्श के माध्यम से अब तक घर पर हजारों हल्के और एसिम्प्टोमैटिक लोगों का इलाज किया है। केंद्र सरकार के आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों के अनुसार, होम आइसोलेशन प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जा रहा है।
उन्होनें कहा कि होम आइसोलेशन ने मामूली लक्षणों वाले बहुत से लोगों को बाहर आने और अपनी जांच कराने के लिए प्रोत्साहित करने का काम किया है, क्योंकि उन्हें पता हैं कि उन्हें जबरदस्ती अस्पताल या क्वारंटीन सेंटर में नहीं ले जाया जाएगा। उन्होनें कहा कि आज केंद्र सरकार के होम आइसोलेशन पर रोक लगाने का दिया गया आदेश, लोगों को जांच के प्रति हतोत्साहित करेगा। सरकार ने कहा कि एसिम्प्टोमैटिक व हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीज जांच से बचेंगे और क्वारंटीन नहीं होंगे, नतीजतन संक्रमण और फैलेगा।
सरकार ने कहा कि इसके अलावा, दिल्ली में पहले से ही मरीजों की संख्या बढ़ रही है। अब मौजूदा तैयारियों के बीच जुलाई तक गंभीर रोगियों के लिए 80,000 बेड की योजना के अलावा हमें हजारों क्वारंटीन कमरे और बढ़ाने होंगे।
जब सरकार से सवाल पूछा गया कि पहले से गंभीर रोगियों के इलाज के लिए डॉक्टरों और नर्सों की भारी कमी है, इन क्वारंटीन केंद्रों की देखभाल के लिए मेडिकल स्टाफ़ कहां से आएगा?
सरकार ने बताया कि दिल्ली सरकार की पूरी मैन-पावर पहले से ही लगी हुई है। अब, हजारों एसिम्प्टोमैटिक लोगों के लिए बड़े क्वारंटीन केंद्रों के रूप घर बनाने की आवश्यकता होगी। फिलहाल हजारों मरीजों का इलाज घर पर किया जा रहा है। इस आदेश के बाद, हमें तुरंत क्वारंटीन सेंटरों में हजारों बेड की आवश्यकता होगी।
राज्य सरकार ने बताया कि कोरोना के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई में हम पूरी तरह से केंद्र सरकार के साथ हैं, लेकिन इस तरह के मनमाने फैसले से दिल्ली को गंभीर नुकसान होगा। उन्हें इस फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए। दरअसल DDMA के आर्डर को लेकर जिसमें सभी पॉजेटिव लोगों को 5 दिन के लिए पहले संस्थागत क्वारन्टीन में रखना है, उसके बाद मरीज की हालत को देखकर होम क्वारन्टीन में भेजना है। पर सरकार ने सवाल खड़े किए है।