नई दिल्ली. दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा कि दिल्ली सरकार जरूरतमंदों को राशन कार्ड नहीं होने पर भी पांच जून से मुफ्त राशन देना शुरू करेगी। सिसोदिया ने ट्वीट किया, ‘‘दिल्ली में जिन लोगों के पास राशनकार्ड नहीं हैं, उन्हें भी पांच जून से स्कूलों में राशन मिलने लगेगा। आज से स्कूलों में राशन पहुँचना शुरू हो गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में किसी भी गरीब आदमी के पास खाने की कोई कमी न रहे, इसका पूरा इंतज़ाम अरविंद केजरीवाल सरकार कर रही है।’’
इससे पहले दिल्ली के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री इमरान हुसैन ने कहा था कि दिल्ली सरकार उन लोगों को चार किलोग्राम गेहूं और एक किलोग्राम चावल प्रति व्यक्ति नि:शुल्क देगी जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दायरे में नहीं आते हैं। प्रत्येक वार्ड में एक स्कूल को मुफ्त अनाज वितरण के लिए चिह्नित किया गया है। दिल्ली सरकार के अनुमान के मुताबिक ऐसे करीब 20 लाख लोग इस योजना के तहत पांच किलोग्राम खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र होंगे जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं।
न्यायालय दिव्यांगों, अनाथ बच्चों एवं बुजुर्गों की मदद के लिए दिल्ली सरकार के कदमों से असंतुष्ट
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिव्यांगों की मदद के लिए दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर यह कहते हुए असंतोष जताया कि विशिष्ट जनों, अनाथ बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा की गयी एवं कोविड महामारी के दौरान उनकी देखभाल की जरूरत है। अदालत ने ठोस कार्रवाई के लिए दिल्ली सरकार को तीन दिन का समय दिया।
दिव्यांगों के वास्ते हेल्पलाइन नहीं होने की सूचना मिलने के बाद अदालत ने कहा कि कई गैर सरकारी संगठन विशिष्ट रूप से सक्षम लोगों के लिए जमीनी स्तर पर काम रहे हैं और सरकार को उन्हें अपने साथ लाना चाहिए तथा कोष देना चाहिए एवं इस संबंध में नोडल अधिकारी को इन संगठनों के साथ समन्वय करना चाहिए।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा, ‘‘ फिलहाल यह पूरी तरह असंतोषजनक, बिलकुल असंतोषजनक है। आपको हमें उकसाने की जरूरत क्यों है?’’
पीठ ने ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की वकील प्रभासहाय कौर के इस अभिवेदन का उल्लेख किया कि उन्होंने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा समाज कल्याण विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक में हिस्सा लिया लेकिन महामारी से प्रभावित अनाथ बच्चों, दिव्यांगों एवं बुजुर्गों के हित में उठाए जाने वाले कदमों के क्रियान्वयन की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है। इसने कहा कि जो कुछ भी करने की जरूरत है, किया जाए और सरकार बताए कि क्या रुकावट है। अदालत ने कहा कि वह तीन दिन के भीतर नतीजा देखना चाहती है।