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Hindi News दिल्ली 17 हजार छात्रों के फेल होने से खुली केजरीवाल सरकार के शिक्षा मॉडल की पोल: वीरेंद्र सचदेवा

17 हजार छात्रों के फेल होने से खुली केजरीवाल सरकार के शिक्षा मॉडल की पोल: वीरेंद्र सचदेवा

वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि केजरीवाल सरकार में स्कूलों में शिक्षा का स्तर खराब है। खासकर नौवीं और ग्यारहवीं के बच्चों को सरकार जानबूझकर कर बड़ी संख्या में फेल करती है, ताकि कम से कम छात्र 10वीं की परीक्षा दें, और सरकार 10वीं तथा 12वीं का रिजल्ट अच्छा दिखा सके।

virendra sachdeva- India TV Hindi Image Source : PTI वीरेंद्र सचदेवा

नई दिल्ली: भाजपा के दिल्ली अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एक बार फिर राज्य की केजरीवाल सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने शिक्षा-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में कक्षा नौवीं के 17 हजार से अधिक छात्र दूसरी बार फेल हो गए हैं। उन्होंने कहा, “अरविंद केजरीवाल के शिक्षा मॉडल की हालत ऐसी है कि कक्षा नौवीं के 17 हजार 308 बच्चे दूसरी बार फेल हो गए हैं। उन बच्चों को कहा गया है कि किसी और स्कूल में जाकर पढ़ाई करें। शिक्षा की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि ओपन स्कूल में सिर्फ छह हजार बच्चे रजिस्टर्ड हुए हैं और 11 हजार बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी है।”

वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, “जिन बच्चों पर दिल्ली को बनाने की जिम्मेदारी थी। आज दिल्ली की भ्रष्ट सरकार की नीति ने उन्हें चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। दिल्ली सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। शिक्षक परेशान हैं, उन्हें पढ़ाने का अवसर नहीं दिया जाता बल्कि उनसे शासन के काम कराए जा रहे हैं। एक लाख से अधिक बच्चे फेल हुए हैं। ऐसा खुद शिक्षा निदेशालय ने बताया है।”

'शिक्षा के नाम पर दिल्ली को लूटा'

उन्होंने दिल्ली सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने बच्चों को दूसरे स्कूलों में जाने का आदेश दे दिया है। लेकिन वे बिना टीचर या ट्यूशन के कैसे पढ़ पाएंगे, इस बात का उनके पास कोई जवाब नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली को भ्रष्टाचार का मॉडल अरविंद केजरीवाल की सरकार ने बनाया है और शिक्षा के नाम पर दिल्ली को लूटने का काम किया है।

'बच्चों को जानबूझकर कर फेल करती है केजरीवाल सरकार'

वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि भाजपा लगातार कहती आई है कि अरविंद केजरीवाल सरकार में स्कूलों में शिक्षा का स्तर खराब है। खासकर नौवीं और ग्यारहवीं के बच्चों को सरकार जानबूझकर कर बड़ी संख्या में फेल करती है, ताकि कम से कम छात्र 10वीं की परीक्षा दें, और सरकार 10वीं तथा 12वीं का रिजल्ट अच्छा दिखा सके। (IANS)