नई दिल्ली। कोरोना संकट की वजह से कारोबारियों के कामकाज पर बुरे असर की वजह से दिल्ली में इंडस्ट्रियल और कमर्शियल बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने का ऐलान किया गया है। दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटरी कमीशन ने बिजली डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को निर्देश दिय़ा है कि वो अप्रैल और मई के दौरान इस्तेमाल न होने वाली क्षमता के लिए फिक्स्ड चार्जेस में 50 फीसदी की कटौती करें।
नियमों के मुताबिक अप्रैल 2020 और मई 2020 के लिए ऐसे इंडस्ट्रियल और गैर घरेलू बिजली उपभोक्ता जिनकी मासिक अधिकतम बिजली की मांग कॉन्ट्रैक्ट डिमांड या सैंक्शन लोड से कम थी उनके लिए बिजली के फिक्स्ड चार्ज की गणना के दूसरे हिस्से में मांग के अंतर पर मौजूदा दरों के आधे के हिसाब से शुल्क लिया जाए। यानि फिक्स्ड चार्जेस 250 रुपये प्रति केवीए प्रति माह की जगह शुल्क 125 रुपये प्रति केवीए प्रति माह लिया जाएगा। मौजूदा टैरिफ सिस्टम के दो हिस्से हैं जिसमें एक फिक्स्ड चार्ज है जो कि उपकरणों आदि पर निवेश के बदले है, वहीं दूसरा बिजली उत्पादन पर फ्यूल के खर्च के आधार पर है जिसमें खपत के आधार पर बदलाव होता रहता है। बिजली उपभोक्तओं को फिक्स्ड चार्जेस में राहत मिली है।
अपने आदेश में DERC ने कहा कि कोरोना संकट में कारोबारियों की मुश्किलों को देखते हुए इस्तेमाल न की गई क्षमता यानि अधिकतम मांग और कॉन्ट्रैक्ट मांग में अंतर पर फिक्स्ड चार्जेस में छूट का ऐलान किया गया है। लॉकडाउन के बाद से बिजली की मांग में लगातार रिकवरी देखने को मिल रही है, हालांकि ये अभी अपने पिछले साल के स्तर पर नहीं पहुंची है। महामारी से पहले पिछले साल जुलाई में बिजली की मांग अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंची थी। फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि फिक्स्ड चार्जेस में इस कटौती से लाखों लोगों को कोरोना की वजह से आई मुश्किलों का सामना करने में मदद मिलेगी।