नयी दिल्ली। दिल्ली में चौथी कोविड-19 लहर के दौरान मामलों में तेज वृद्धि मुख्य रूप से डेल्टा प्रकार के कारण थी जिसमें प्रतिरक्षण से बचने के गुण हैं और अप्रैल में सामने आये कुल मामलों में से 60 प्रतिशत मामले इसी के थे। यह बात एक नये अध्ययन में सामने आयी है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) और सीएसआईआर इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के शोधकर्ताओं का कहना है कि डेल्टा प्रकार, बी. 1.617. 2, अल्फा प्रकार, बी1. 117 की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक संचरण योग्य है, जो सबसे पहले ब्रिटेन में सामने आया था।
वैज्ञानिकों ने पाया कि पूर्व संक्रमण, उच्च सीरोपॉजिटिविटी और आंशिक टीकाकरण डेल्टा प्रकार के प्रसार के लिए ‘‘अपर्याप्त बाधाएं’’ हैं। उन्होंने दिल्ली में अप्रैल में शुरू हुई चौथी लहर के पैमाने और गति में योगदान करने वाले कारकों का पता लगाया और उनकी तुलना पिछले साल की तीन लहरों से की। शोधकर्ताओं ने कहा, 'हमने पाया है कि दिल्ली में सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के इस उछाल के लिए नया अत्यधिक संक्रामक प्रकार (वीओसी), बी. 1.617. 2 के चलते हैं जिसमें संभावित प्रतिरक्षण से बचने के गुण हैं।'
यह पता लगाने के लिए कि क्या दिल्ली में अप्रैल 2021 के प्रकोप के लिए सार्स-सीओवी-2 प्रकार जिम्मेदार हो सकता है, शोधकर्ताओं ने नवंबर 2020 में मई 2021 तक दिल्ली के सामुदायिक नमूनों की सिक्वेंसिंग और विश्लेषण किया। यह अध्ययन अभी प्रकाशित होना है। इसमें उल्लेखित किया गया है कि जनवरी में दिल्ली में अल्फा प्रकार के मामले 'न्यूनतम' थे, फरवरी में तेजी से बढ़कर 20 प्रतिशत और मार्च में 40 प्रतिशत हो गए।
अध्ययन के लेखकों ने उल्लेख किया कि हालांकि, तेजी से फैल रहे अल्फा संस्करण को अप्रैल में डेल्टा प्रकार ने पीछे छोड़ दिया जो पहली बार महाराष्ट्र में सामने आया था। अध्ययन के अनुसार, डेल्टा प्रकार का अनुपात फरवरी में 5 प्रतिशत से बढ़कर मार्च में 10 प्रतिशत हो गया, और अप्रैल तक अल्फा संस्करण से आगे निकल गया और यह सिक्वेंसिंग किये गए नमूनों में 60 प्रतिशत था।