नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार पिंजरा तोड़ समूह की एक सदस्य की याचिका पर तिहाड़ जेल से जवाब मांगा है। याचिका के जरिये महिला ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये प्रतिदिन अपने वकील से बात करने और जेल में पुस्तकें तथा अध्ययन सामग्री रखने की अनुमति मांगी है। न्यायमूर्ति विभू बाखरू जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की छात्रा देवांगन कलिता की याचिका पर वीडियो कांफ्रेंस के जरिये सुनवाई करते हुए तिहाड़ जेल और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया तथा यह विषय एक जुलाई के लिये सूचीबद्ध कर दी। इस बीच, अदालत ने संबद्ध अधिकारियों को इस याचिका को याचिकाकर्ता की उसके वकील से वीडियो कांफ्रेंस के जरिये बात करने की अनुमति मांगने वाला अनुरोध पत्र के तौर पर देखने को भी कहा। यह आदेश शुक्रवार को जारी किया गया था और यह शनिवार को उपलब्ध हुआ।
अदालत ने 18 जून को समूह की एक और सदस्य एवं जेएनयू छात्रा नताशा नरवाला की इसी तरह की एक याचिका तिहाड़ जेल से जवाब मांगा था। कलिता ने अपनी याचिका में दिल्ली कारागार नियम,2018 के प्रावधानों के मुताबिक अपने परिवार के लोगों से नियमित रूप से बात करने देने की अनुमति भी मांगी है। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर दिल्ली की जेलों में कैदियों का अपने वकीलों से मिलना बंद है। छात्राओं के लिये छात्रावासों एवं पेइंग गेस्ट (पीजी) के रूप में रहने के दौरान उन पर पाबंदियों में कमी लाने के उद्देश्य से पिंजरा तोड़ समूह की स्थापना 2015 में हुई थी। जामिला मिल्लिया इस्लामिया ने 2015 में नोटिस जारी कर रात आठ बजे के बाद छात्राओं के छात्रावास परिसर से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी थी।
इस पर, छात्राओं के एक समूह ने पाबंदियों के खिलाफ न सिर्फ जामिया में बल्कि दिल्ली में अन्य विश्वविद्यालयों में भी प्रदर्शन का फैसला किया। बाद, में पिंजरा तोड़ ने छात्रावासों और पीजी में महिल छात्रावासों द्वारा सामना किये जा रहे विभिन्न मुद्दों को लेकर लोगों को लामबंद किया। नरवाल और कलिता, अभी न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में हैं। उन्हें दिल्ली पुलिस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जफराबाद इलाके में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ फरवरी में हुए प्रदर्शन के सिलसिले में 23 मई को गिरफ्तार किया था। निचली अदालत ने मामले में 24 मई को उन्हें जमानत दे दी। लेकिन कुछ ही क्षणों बाद दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने उनसे पूछताछ की अर्जी दी और एक अलग मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा मामले में कथित भूमिका को लेकर एक तीसरे मामले में भी उन्हें गिरफ्तार किया गया।