Delhi Riots: दिल्ली में साल 2020 में हुए दंगों ने हर किसी को दहला कर रख दिया था। दिल्ली दंगों ने कई लोगों को ऐसे जख्म दिए हैं जो अब शायद ही कभी भर पाएं। उत्तर पूर्वी दिल्ली में 2020 में दंगे के दौरान एक हेड कांस्टेबल रतनलाल की हत्या दर्दनाक हत्या कर दी गई थी। अब दो साल बाद हेड कांस्टेबल रतनलाल की हत्या मामले में एक आरोपी को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने सोमवार बताया कि दिल्ली हाई कोर्ट ने चांदबाग निवासी आरोपी मोहम्मद वासिम उर्फ बबलू उर्फ सलमान को ‘भगोड़ा अपराधी’ घोषित किया था।
22 आरोपियों की पहचान कर गिरफ्तार किया
पुलिस के अनुसार हिंसा में हेड कांस्टेबल रतनलाल की मौत के साथ ही शाहदरा के तत्कालीन पुलिस उपायुक्त अमित शर्मा और गोकुलपुरी के सहायक पुलिस आयुक्त अनुज कुमार घायल हुए थे, घायलों में 50 अन्य पुलिसकर्मी भी थे। विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रवींद्र सिंह यादव ने बताया कि जांच के दौरान पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और वीडियो के विश्लेषण, कॉल डिटेल रिकार्ड, गवाहों के बयान और आरोपियों के खुलासे के आधार 22 आरोपियों की पहचान की और उन्हें गिरफ्तार किया। उन्होंने कहा, ‘‘फरार आरोपियों को पकड़ने के लिए विशेष दल का गठन किया गया और जांच के दौरान दल ने सूचनाएं जुटायीं और दिल्ली और उत्तर प्रदेश में अपने मुखबिर लगाये क्योंकि आरोपियों के मकानों पर इस घटना के बाद ताला लगा मिला था।’’
अलीगढ़ में एक फैक्टरी में कर रहा था काम
अधिकारी ने कहा कि दिल्ली में कई स्थानों पर छापा मारा गया लेकिन आरोपी के बारे में कोई सुराग नहीं मिला। उन्होंने कहा कि जब सहायक उपनिरीक्षक मोहम्मद रहीसुद्दीन को यह पता चला कि आरोपी वासिम उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में गुपचुप तरीके से रह रहा है तब जांच आगे बढ़ी। अधिकारी ने बताया कि अलीगढ़ में सूचनाएं एकत्र की गयीं और जब इस बात की पुष्टि हो गयी कि वह दिलशाद नामक एक व्यक्ति की फैक्टरी में काम कर रहा है तब टीम ने उसके सटीक ठिकाने का पता लगाया जिससे उसकी गिरफ्तारी हो पायी।
वासिम ने पुलिस के सामने उगली क्राइम कथा
अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान वासिम ने पुलिस को बताया कि 2010 में वह दिल्ली आया था और अपने माता-पिता के मकान में रहने लगा। वासिम ने कथित तौर पर पुलिस को बताया कि वह फरवरी 2020 में सीएए विरोधी प्रदर्शन में अपने मित्रों के साथ भाग लेने लगा जहां वह असामाजिक तत्वों के संपर्क में आया। अधिकारी ने बताया कि घटना के दिन उसने अपने साथियों के साथ मिलकर थिनर से भरी बोतलों का कार्टन (जिसे कच्चा बम भी कहा जाता है) एक मकान की छत पर रख दिया। उनके अनुसार यही बोतलें बाद में पुलिस अधिकारियों पर फेंकी गयीं। यादव ने बताया कि इस घटना के बाद आरोपी ने अपना मोबाइल नष्ट कर दिया और पिछले दो साल से अपने रिश्तेदारों से भी सपंर्क नहीं किया। उनके अनुसार फरार होने के बाद आरोपी अलीगढ़ में दिलशाद की ताला-निर्माण फैक्टरी में काम करने लगा।