दिल्ली में सामने आए कोरोना वायरस के 35 नए मामले, एक की मौत
पिछले साल महामारी की शुरुआत के बाद से दिल्ली में अब तक कोविड-19 के 14.3 लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जबकि इस बीमारी के कारण 25,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
नयी दिल्ली: दिल्ली में बुधवार को कोविड-19 के 35 नए मामले सामने आए और इस बीमारी से एक और मौत हुई। महानगर के स्वास्थ्य विभाग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार यह जानकारी मिली है। विभाग द्वारा जारी एक बुलेटिन के अनुसार, पिछले 24 घंटों में कोविड-19 के 86 रोगियों को शहर के अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई और संक्रमण दर 0.05 प्रतिशत है। नए मामलों के साथ, दिल्ली में कोविड-19 के कुल मामले बढ़कर 14,37,550 हो गए, जिनमें से 14,12,081 मरीज ठीक हो गए हैं, या अन्य जगहों पर चले गए हैं। बुलेटिन में कहा गया कि वायरल बीमारी के कारण मरने वालों की संख्या 25,080 हो गई है और मृत्यु दर 1.74 प्रतिशत है। इसमें कहा गया है कि शहर के अस्पतालों में कोविड रोगियों के लिए निर्धारित 12,036 बिस्तरों में से केवल 249 पर ही मरीज भर्ती हैं।
इस बीच दिल्ली सरकार द्वारा संचालित लोकनायक जय प्रकाश नारायण(एलएनजेपी) अस्पताल ने कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर को देखते हुए अपनी बिस्तर क्षमता बढ़ा दी है और डॉक्टरों और कर्मचारियों को किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए प्रशिक्षित किया है। महामारी की दूसरी लहर के दौरान रामलीला मैदान में स्थापित 500 बिस्तरों वाली आईसीयू इकाई के साथ 1,500 बिस्तरों वाले एलएनजेपी अस्पताल में कुल 2,000 बिस्तर हैं।
अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "कुल बिस्तर क्षमता मौजूदा 2,000 से बढ़ाकर 2,200 कर दी गई है और रामलीला मैदान में स्थापित अस्थायी अस्पताल में 500 आईसीयू बेड में से 100 को बाल कोविड रोगियों के लिए आरक्षित किया गया है, क्योंकि तीसरी लहर के बच्चों पर अधिक असर पड़ने की आशंका है।" एलएनजेपी अस्पताल ने महामारी की पहली और दूसरी लहर दोनों के दौरान चिकित्सा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अधिकारी ने कहा, "हमारे आईसीयू कर्मचारी पहले से ही प्रशिक्षित हैं, लेकिन तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर जून से हमने अपने डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है, जो आईसीयू में नहीं हैं।" पिछले साल महामारी की शुरुआत के बाद से दिल्ली में अब तक कोविड-19 के 14.3 लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जबकि इस बीमारी के कारण 25,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
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