नयी दिल्ली: सर्दियों की आहट के साथ ही देश की राजधानी दिल्ली की आबो-हवा बिगड़ने लगी है। अक्टूबर की शुरुआत के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में लगातार इजाफा हो रहा है। दिल्ली से सटे नोएटा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में वायु प्रदूष का स्तर बेहद खराब स्थिति 'रेड जोन' में पहुंच गया है। इसे देखते हुए केजरीवाल सरकार ने वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए शहर के 100 चौराहों पर ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ अभियान की शुरुआत की जो महीनेभर चलेगा।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय आईटीओ चौराहे पर पहुंचे और जनता से प्रदूषण के खिलाफ इस लड़ाई को सफल बनाने के लिए समर्थन देने की अपील की। उन्होंने कहा कि वाहनों से होने वाला उत्सर्जन तथा धूल किसी भी शहर में वायु प्रदूषण के मुख्य कारक होते हैं।
राय ने कहा, ‘‘वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने रेड लाइट ऑन, गाडी ऑफ अभियान की आज से शुरुआत की है। पेट्रोलियम कंजर्वेशन रिसर्च एसोसिएशन (पीसीआरए) के आंकड़े बताते हैं कि यदि लोग यातायात सिग्नल पर गाड़ियां बंद करने के नियम का पालन शुरू कर दें तो प्रदूषण 13-20 प्रतिशत तक कम हो सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक जन अभियान है और प्रदूषण से हमें मिलकर लड़ना होगा।’’ राय ने बताया कि सितंबर में प्रदूषण स्तर सुरक्षित सीमा के भीतर ही था। उन्होंने कहा कि जाड़े के मौसम में प्रदूषण स्तर में वृद्धि होने का कारण मौसम में बदलाव, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के मामले बढ़ना आदि हैं।
राय ने कहा, ‘‘पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के बारे में हम कुछ नहीं कर सकते। इसलिए हमारा प्रयास है कि दिल्ली में इस अभियान के जरिए वाहनों से और धूल के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करें।’’ यह अभियान 18 नवंबर तक चलेगा।
बता दें कि हर साल पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा पराली जलाने से दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। दिल्ली में हवा की खराब गुणवत्ता के लिए पराली जलाने को सबसे बड़ा कारक बताया जाता है। हालांकि, इस साल पराली जलाने के बजाए घोल से नष्ट किया जाएगा। दिल्ली सरकार ने पूसा के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर ऐसी दवाई तैयार की है, जो 15 दिन में पराली को खाद में बदल देगी।