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दिल्ली पुलिस की वैन और स्कूटी की हुई टक्कर, हादसे में दो महिलाएं घायल, अस्पताल में भर्ती

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की पीसीआर और एक स्कूटी की टक्कर का मामला सामने आया है। इस घटना में उत्तम नगर की रहने वाली दो महिलाएं घायल हो गईं जिन्हें डीडीयू अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

Delhi Police PCR and scooty accident- India TV Hindi Image Source : IANS Delhi Police PCR and scooty accident

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की पीसीआर और एक स्कूटी की टक्कर का मामला सामने आया है। इस घटना में उत्तम नगर की रहने वाली दो महिलाएं घायल हो गईं जिन्हें डीडीयू अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस घटना का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है जिसमें दिल्ली पुलिस की एक वैन को स्कूटी से टकराते देखा जा सकता है, जिसमें दो महिलाओं को गंभीर चोटें आई हैं।

पुलिस के मुताबिक, दिनांक 04 सितंबर 2022 को पीएस बिंदापुर में गुरुद्वारा, उत्तम नगर के पास पाली फैक्ट्री रोड के पास दुर्घटना की सूचना प्राप्त हुई, जिसमें फोन करने वाले ने कहा कि एक स्कूटी और पुलिस वाहन की टक्कर हो गई। पूछताछ के दौरान पता चला कि उत्तम नगर की रहने वाली 56 साल की प्रेम चावला और उत्तम नगर की ही निवासी 33 साल की गीता चौहान डीडीयू अस्पताल में भर्ती कराई गईं है। 

इस संबंध में गीता चौहान से बयान मांगा गया, लेकिन उन्होंने अपना बयान देने से इनकार कर दिया। इस घटना में शामिल सरकारी वाहन एक पीसीआर एमपीवी है जो आधिकारिक ड्यूटी पर थी। दुर्घटना के बाद दोनों महिलाओं को पीएस बिंदापुर के कर्मचारियों द्वारा अस्पताल ले जाया गया और उन्होंने कहा कि हमने हर संभव सहायता की पेशकश की है।

हादसे का शिकार हो जाएं तो क्या करना चाहिए?

सबसे पहली चीज जो विशेषज्ञ कहते हैं, वह है मदद मांगना। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में इमरजेंसी प्रमुख डॉ प्रियदर्शिनी पाल सिंह का कहना है, 'मदद मांगो, जितना जल्दी हो सके घायल को अस्पताल लेकर जाओ। अगर आप पीड़ित को अपनी कार या रिक्शा से अस्पताल लेकर जा रहे हैं, तो ध्यान रखें कि उसका सिर और गर्दन स्थिर और एकदम सीधे रहें। अस्पताल जाने तक देखें कि उसका खून तो नहीं बह रहा और अगर बह रहा है, तो उसे रोकने के लिए उसपर कपड़ा बांध दें। नहीं तो लोगों को सीपीआर भी दिया जा सकता है, लेकिन बहुत से लोग नहीं जानते कि इसे कैसे देते हैं और इससे अधिक खतरा उत्पन्न हो सकता है।' 

वहीं डॉक्टर रे दुर्घटना का शिकार बने पीड़ितों, खासतौर पर वो जो अचेत अवस्था में हों, उन्हें सलाह देते हैं कि उन्हें तभी खुद को हिला डुलाकर या चलकर दूसरे स्थान पर जाना चाहिए, अगर उन्हें एक और दुर्घटना का शिकार होने का डर हो क्योंकि वह बीच सड़क पर होते हैं। उनका कहना है, 'एंबुलेंस का इंतजार करें और लोगों की मदद के लिए प्रशिक्षित कर्मी हों। अगर पीड़ित हिल पा रहा है, तो सुनिश्चित करें कि आप उसकी गर्दन को सहारा दे पाएं।' दोनों ही डॉक्टरों का कहना है कि मरीज को केवल 'गोल्डन आवर' में ही नहीं बल्कि जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी अस्पताल पहुंचाना चाहिए, क्योंकि चंद मिनट भी काफी मायने रखते हैं। इसके अलावा अगर कोई तेज रफ्तार वाले वाहन के चलते दुर्घटना का शिकार हुआ है, या उसके साथ यात्रा करने वाले को गंभीर चोट लगी हैं, या फिर मामूली चोट लगी है, तब भी सभी को जितना जल्दी हो सके, अस्पताल जाना चाहिए।