Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने गैर सरकारी संगठन (NGO) को कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म की शिकार और आरोपी के परिवार द्वारा पिटाई व चप्पलों की माला पहनाकर इलाके में घुमाने की पीड़ा सहने वाली महिला से मिलने की अनुमति दे दी। अदालत ने कहा कि मौजूदा समय में किसी तरह की सहायता देने के लिये पीड़िता से मिलने पर किसी व्यक्ति या संगठन पर रोक नहीं है।
"घटना को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए"
कोर्ट ने हालांकि कहा कि घटना को कोई राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए और न ही संदर्भ से परे धार्मिक पक्ष प्रकट होना चाहिए ताकि फौजदारी जस्टिस सिस्टम के विरूपण से बचा जा सके। जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता में कहा, ‘‘यह दोहराया जा सकता है कि अगर पीड़िता को जरूरत है तो आमतौर पर जरूरी कानूनी मदद और सहायता मुहैया कराने के लिए मुलाकात से रोका नहीं जाता। न्याय प्रदान करने और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए सतर्कता होनी चाहिए ताकि इस तरह की मुलाकात का इस्तेमाल अनुचित तरीके से किसी कानून व्यवस्था के लिए समस्या उत्पन्न करने के लिए या किसी खास समुदाय की भावनाएं नकारात्मक रूप से भड़काने, सौहार्द्र बिगाड़ने वाला या शांति भंग करने वाला नहीं हो।’’
NGO ने कोर्ट से मांगी थी अनुमति
कोर्ट ने यह आदेश एक NGO की अर्जी का निस्तारण करते हुए दिया जिसने अपने 2 प्रतिनिधियों के जरिए पीड़िता और उसके परिवार से मुलाकात करने की अनुमति मांगी थी ताकि उन्हें कानूनी मदद और अन्य सहायता दी जा सके।
क्या था मामला
प्रोसिक्यूटर के मुताबिक महिला के साथ 26 जनवरी को कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया गया और इसके बाद आरोपी के परिवार के सदस्यों ने उसकी पिटाई की और जूते-चप्पलों की माला पहनाकर इलाके में उसकी परेड कराई। इस मामले में विवेक विहार पुलिस थाने में सामूहिक दुष्कर्म, आपराधिक धमकी और आपराधिक साजिश की धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई। NGO ने कोर्ट में दावा किया था कि उसके प्रतिनिधियों को पीड़िता से मिलने नहीं दिया जा रहा है और महिला के घर के आसपास के इलाके की घेराबंदी की दी गई है।