Delhi NDMC School : कहते हैं कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती। आदमी अगर कुछ करने की ठाने ले तो उम्र की कोई सीमा इसमें बाधा नहीं बनती है। और कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है राजधानी दिल्ली (Delhi) के पूर्वी किदवई नगर स्थित डे-टाइम सेकेंडरी स्कूल में। बबीता देवी करीब 30 वर्ष की हैं और गर्व से बताती हैं कि वे दूसरी क्लास की छात्रा हैं। बबीता का परिवार गरीब है और 16 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी। लेकिन उन्होंने पढ़ने की ठानी और अब डे टाइम सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं।
बच्चों को पढ़ते देख खुद भी पढ़ने की लालसा जगी
बबिता ने बताया कि वह बचपन से ही पढ़ना-लिखना चाहती थीं खासतौर से भजन और आरती की किताबों में उनकी दिलचस्पी थी। लेकिन उस वक्त पढ़ाई नहीं कर पाई। मैंने सारी उम्मीदें छोड़ दी थी। लेकिन शादी के बाद बच्चे हुए और बाद में उन्हें पढ़ता-लिखता देख मेरे मन में भी पढ़ने की इच्छा हुई। मैं पूजा-पाठ और आरती की किताबें भी नहीं पढ़ पाती थी। मैं सोचने लगी कि क्या मैं जीवन भर अनपढ़ रहूंगी। इसके बाद मैंने पढ़ाई करने की ठानी और इस स्कूल में दाखिला लिया।
दिल्ली के इस स्कूल में 69 व्यस्क कर रहे पढ़ाई
बबिता की ही तरह यहां करीब 69 व्यस्क हैं जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। 66 छात्र 15 से 20 वर्ष के आयु वर्ग में पढ़ रहे हैं जबकि 3 छात्र 20 से अधिक आयु वर्ग में पढ़ रहे हैं।1994-95 से इस स्कूल को दसवीं कक्षा तक अपग्रेड किया गया था। बुधवार को नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) के उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय (Satish Upadhyay) ने इस स्कूल का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सीखना एक सतत प्रक्रिया है और सच्चा शिक्षार्थी सीखने के रास्ते तलाशता है। जीवन के हर चरण में सीखना संभव है।
स्कूल को12 वीं क्लास तक अपग्रेड किया जाएगा
सतीश उपाध्याय ड्राप-आउट छात्रों के साथ बातचीत की और सभी के बीच सबसे वरिष्ठ छात्रा गीता सिंह को गुलदस्ता भेंट कर पढ़ाई जारी रखने के लिए उनकी सराहना भी की। उन्होंने यह भी कहा कि इस स्कूल को 12वीं क्लास तक अपग्रेड किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पूरी दिल्ली में यह पहला स्कूल है जो किसी भी क्लास की ड्राप-आउट महिला स्टूडेंट को फिर से पढ़ाई शुरू करने की सुविधा मुहैया कर रहा है। उन्होंने ऐसी महिलाओं के जज्बे को सलाम किया।