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Hindi News दिल्ली Delhi-NCR में 40 फीसदी तक बढ़े जुखाम-खांसी के मरीज, क्या इनफ्लुएंजा H3N2 के हैं लक्षण

Delhi-NCR में 40 फीसदी तक बढ़े जुखाम-खांसी के मरीज, क्या इनफ्लुएंजा H3N2 के हैं लक्षण

सी और जुकाम को लेकर डॉक्टर भी काफी ज्यादा हैरान और परेशान हैं। अस्पतालों में आने वाले हर पांचवें मरीज में इस तरीके के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, टेस्ट किया जा रहा है तो पता चलता है कि लोग बीमार हैं और हालत बद से बदतर होती जा रही है।

H3N2 Virus Patients with cold and cough increased by 40 percent in Delhi-NCR- India TV Hindi Image Source : IANS Delhi-NCR में 40 फीसदी तक बढ़े जुखाम-खांसी के मरीज

नोएडा: बीते कुछ महीनों से खांसी और जुकाम के मामले करीब 40 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। जिसको भी एक बार खांसी और जुखाम हो रहा है वह ठीक होने का नाम नहीं ले रहा। पहले यह बीमारी 3 से 4 दिन में दवाई के साथ ठीक हो जाती थी, लेकिन इस दौरान यह बीमारी लोगों के जी का जंजाल बन गई है। खांसी और जुकाम को लेकर डॉक्टर भी काफी ज्यादा हैरान और परेशान हैं। अस्पतालों में आने वाले हर पांचवें मरीज में इस तरीके के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, टेस्ट किया जा रहा है तो पता चलता है कि लोग बीमार हैं और हालत बद से बदतर होती जा रही है।

600 मरीजों में कोरोना जैसे लक्षण

जिले की स्वास्थ विभाग की ओर से पिछले 3 सप्ताह में जिले के 3500 मरीजों पर अध्ययन किया गया है। जिसमें से 660 मरीजों में करोना जैसे लक्षण पाए गए हैं। हालांकि एंटीजन जांच करने पर किसी भी मरीज में कोरोना की पुष्टि नहीं हुई है। अब विशेषज्ञ इसे तेजी से बढ़ रहे इन्फ्लूएंजा एच3एन2 से जोड़कर देख रहे हैं। कोरोना और इनफ्लुएंजा में काफी अंतर है। लेकिन फिर भी इन्फ्लूएंजा में बीमार हुए व्यक्ति का बुखार भले ही 3 दिन में ठीक हो जा रहा है, लेकिन उसे हुई खांसी और जुखाम तीन से चार हफ्तों में भी ठीक नहीं हो पा रहा है।

H3N2 और कोरोना में है अंतर

सीनियर फिजीशियन एंड डायबिटोलॉजिस्ट डॉ अमित कुमार ने आईएएनएस से खास बातचीत करते हुए बताया कि इनफ्लुएंजा एच3एन2 एंड टू और कोरोना में काफी अंतर है। सिमटम एक जैसे ही लगते हैं, लेकिन कोरोना एक साथ फैलने वाली बीमारी है, जबकि इनफ्लुएंजा एच3एन2 खांसी और जुखाम के चलते एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुंचने वाली बीमारी है। उन्होंने बताया कि सबसे पहले तो यह वायरल फीवर की गिनती में आता है और वायरल फीवर को पहचानने और जानने में वक्त लगता है। उन्होंने बताया कि इस वायरस से प्रभावित ज्यादातर लोग बुखार से उनके पास आ रहे हैं उसके बाद दूसरी सबसे ज्यादा संख्या खांसी की है।

92 फीसदी लोग बुखार से पीड़ित

अगर प्रतिशत में बात की जाए तो सबसे ज्यादा 92 प्रतिशत लोग बुखार से पीड़ित होकर डॉक्टर के पास पहुंच रहे हैं, वही 86 प्रतिशत लोग जुखाम, खांसी होने के बाद डॉक्टर के पास जा रहे हैं और करीब 16 परसेंट ऐसे मरीज है जो सांस फूलने के चलते डॉक्टर के पास जा रहे हैं। डॉ अमित के मुताबिक सबसे पहले लक्षण दिखाई देने पर अपने नजदीकी डॉक्टर से संपर्क साधना चाहिए। लोग ऐसे में अपने लोकल केमिस्ट से जाकर दवाई लेकर आ रहे हैं जो उनके लिए और भी ज्यादा घातक हो रहा है। जबकि इसमें ज्यादा एंटीबायोटिक बेहद नुकसानदेह है।

एंटीबायोटिक लेना खतरनाक

उन्होंने बताया कि आईएमए भी इस बारे में बता चुका है कि ज्यादा एंटीबायोटिक देना खतरनाक होता है इसीलिए ऐसे मामलों में एंटीबायोटिक जायदा लेने से बचाना चाहिए। यह बेहद ही नाजुक समय है। इस वक्त आप जब भी भीड़भाड़ में निकलें तो कोशिश करें कि मास्क पहनकर ही जाएं। खांसते और छीकते समय मुंह और नाक पूरी तरीके से ढंक कर रखने चाहिए और जिनको भी खांसी और जुकाम की दिक्कत है उन्हें बाहर निकलते वक्त अपने मुंह पर मास्क लगाना चाहिए।

आंख-नाक छूने से बचें

इसके साथ साथ बार-बार अपनी आंख नाक को छूने से भी बचना चाहिए क्योंकि कई बार हम इस बात पर ध्यान नहीं देते और वायरस हमारे हाथों के जरिए ही हमारे अंदर प्रवेश कर जाता है। सबसे जरूरी चीज यह है कि बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई या एंटी बायोटिक नहीं लेनी चाहिए, मेडिसिन लेते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए। चिकित्सकों के मुताबिक वायरल संक्रमण किसी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से पहुंच सकता है। इनफ्लुएंजा संक्रमित कोई व्यक्ति जब खांसता और छीकता है तो उसके ड्रॉपलेट हवा में 1 मीटर तक फैल सकते हैं। जब कोई दूसरा व्यक्ति सांस लेता है तो यह ड्रॉपलेट उसके शरीर में जाकर संक्रमित कर देते हैं।

भीड़ में बरतें सावधानी

ऐसे में कोविड की तरह इसमें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। भीड़भाड़ वाले स्थानों पर इसके फैलने का सबसे ज्यादा खतरा है। संक्रमित को छूने से भी यह वायरस फैल सकता है। लिहाजा खांसते समय मुंह को ढकना बेहद जरूरी है। साथ ही बार-बार हाथ धोते रहना चाहिए।

(इनपुट-आईएएनएस)