Delhi Meena Bazar: बकरीद त्योहार से पहले दिल्ली का मीना बाजार गुलजार है और सजे धजे बकरों की खरीद-फरोख्त के लिए ग्राहकों को सौदेबाजी करते देखा जा सकता है। बकरे बेचने के लिए उत्तर प्रदेश से मशहूर मीना बाजार पहुंचे 38 वर्षीय मेहरबान ने मजाकिया लहजे में कहा, ‘‘इनमें से कुछ बकरे एसयूवी में सवार होकर यहां आये हैं, इन्हें किसी से कम मत समझिए।’’ रविवार को मनाये जाने वाले ईद-उल-अजहा (बकरीद) से पहले बाजार में सैकड़ों बकरे सजे-धजे नजर आये, जिनमें से कई को फूलों की माला, खूबसूरत घूंघरू और पट्टे पहनाए गए थे और इनके मालिक ग्राहक को आकर्षित करने का कोई भी मौका गंवाना नहीं चाहते।
पिछले दो साल से गायब थी ‘बकरा मेला’ की रौनक
कोविड संबंधी पाबंदियों के चलते दो साल के बाद राष्ट्रीय राजधानी में ‘बकरा मेला’ की रौनक लौटी है जोकि कुर्बानी के लिए बकरा खरीदने वालों के लिए पसंदीदा स्थान रहा है। पूरे उत्तर भारत से लोग यहां अपने पशुओं को बेचने आते हैं। मीना बाजार के दूसरी तरफ उर्दू पार्क और हौज में सैकड़ों टैंट लगे हैं, जहां विक्रेताओं ने अपने पशुओं को रखा हुआ है। आमतौर पर इन दोनों जगहों पर स्थानीय दुकानदार और विक्रेता व्यापार करते हैं लेकिन 10 दिनों के लिए इन जगहों को मेले के लिए खाली कर दिया जाता है।
मेले में हर कीमत के बकरे मौजूद
उत्तर प्रदेश के शामली जिले से मेला पहुंचे मेहरबान ने कहा कि वह 100 से अधिक बकरों की बिक्री के लिए अपने परिवार के 15 अन्य सदस्यों के साथ यहां पहुंचे हैं। मेहरबान ने कहा, ‘‘हम यहां दो दिन पहले आए हैं जबकि हमने इन टैंट को पिछले महीने बुक किया था। हमारे अधिकतर बकरे बिक चुके हैं और हमे उम्मीद है कि बाकी बचे शनिवार शाम तक बिक जाएंगे और रात तक हम लोग अपने घरों को निकल जाएंगे।’’ मेले में हजारों रुपए से लेकर कई लाख रुपए तक की कीमत वाले बकरे उपलब्ध हैं। बकरों का दाम तय करने संबंधी सवाल पर हरियाणा के सोनीपत जिले से आये सन्नी सरोहा (21) ने कहा कि यह जानवर की खूबियों जैसे वजन और ऊंचाई आदि पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि अगर बकरे के शरीर पर चांद या सितारे जैसा निशान हो तो यह बेहद मंहगा हो सकता है। बकरे की खरीद-बिक्री के अलावा जानवरों के लिए पट्टे, घुंघरू और अन्य सामान बेचने वाले भी 10 दिवसीय मेले को लेकर उत्साहित हैं।
महामारी का प्रभाव बाजार पर देखने को मिला
ऐसी ही एक दुकान चलाने वाले मोहम्मद शोएब अंसारी (18) ने कहा, ‘‘ हम 30 रुपये में एक प्लेट बिरयानी बेचते हैं और हमे अच्छा मुनाफा हो रहा है।’’ हालांकि, उनका कहना है कि व्यापार में कोविड काल से पहले जैसी बात नहीं रह गई है। अंसारी की दुकान पर बैठे एक अन्य व्यापारी ने कहा, ‘‘ यह (भीड़) कुछ भी नहीं है। दो साल पहले के मेले में आपको बाजार में पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती। इस बार, भीड़ काफी कम है।’’ बाजार महामारी के आर्थिक प्रभाव से जूझ रहा है क्योंकि दुकानदारों ने दावा किया कि बिक्री में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। एक कपड़ा दुकान के मालिक 28 वर्षीय मोहम्मद तबरेज़ ने कहा,‘‘मैं पिछले 20 वर्षों से इस दुकान को चला रहा हूं। महामारी के दौरान व्यवसाय प्रभावित हुआ और यह अभी तक सामान्य नहीं हुआ है। यह बाजार महामारी से पहले ईद के सप्ताह के दौरान जनता से गुलजार रहता था लेकिन अब बहुत कुछ बदल गया है। हालांकि, यह पिछले दो वर्षों की तुलना में इस साल बेहतर है।