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Hindi News दिल्ली जेल जाने के बाद दिल्ली में क्यों नहीं केजरीवाल को मिला सहानुभूति का वोट? जानिए 5 बड़े कारण

जेल जाने के बाद दिल्ली में क्यों नहीं केजरीवाल को मिला सहानुभूति का वोट? जानिए 5 बड़े कारण

आप के दिल्ली संयोजक और मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पार्टी ने यह चुनाव इस देश की सभी पार्टियों के बीच सबसे विपरीत परिस्थितियों में लड़ा। राजधानी दिल्ली में भाजपा को 54.29 फीसदी वोट मिले, जबकि आप और कांग्रेस को क्रमश: 24.09 फीसदी और 19.05 फीसदी वोट मिले। बीजेपी ने सभी सात सीटों पर जीत हासिल की।

सीएम अरविंद केजरीवाल - India TV Hindi Image Source : FILE-PTI सीएम अरविंद केजरीवाल

नई दिल्लीः  दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी को लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी एक बार फिर से अपना खाता खोलने में विफल रही। जबकि पंजाब की 13 सीटों से सिर्फ तीन सीट ही जीत पाई। दिल्ली और पंजाब में जिस तरह से आम आदमी पार्टी उम्मीद कर रही थी उस तरीके से उसे सफलता बिल्कुल भी नहीं मिली। पार्टी को उम्मीद थी कि सीएम अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के जेल जाने से जनता की सहानुभूति मिलेगी लेकिन चुनाव नजीतों को देखकर ऐसा नहीं लगता।

 केजरीवाल को क्यों नहीं मिला सहानुभूति का वोट

  1. दिल्ली में कथित शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी के सभी सीनियर नेता जेल चले गए। ईडी ने कोर्ट में जो सबूत दिखाए और उसके आधार पर अदालत ने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट से केजरीवाल और सिसोदिया को जमानत नहीं मिलने से जनता के मन में शक पैदा हुआ कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ हो सकता है। इसलिए कोर्ट से इन्हें जमानत नहीं मिल रही है। अरविंद केजरीवाल हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। सिसोदिया को एक साल से ज्यादा समय हो गए उन्हें भी जमानत नहीं मिल पा रही है।
  2. कथित शराब घोटाले में जब ईडी बार-बार केजरीवाल को समन भेज रही थी और वे पूछताछ में शामिल नहीं हो रहे थे तो जनता के बीच यह संदेश गया कि वह कुछ छिपा रहे हैं। अगर उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है तो ईडी के पास पूछताछ के लिए क्यों नहीं जा रहे हैं। बीजेपी ने इस मुद्दे को जनता के बीच पुरजोर तरीके से उठाया और आम आदमी पार्टी को हर मौके पर जवाब भी दिया। 
  3. अरविंद केजरीवाल को जेल में रहते हुए जो सहानुभूति मिल सकती थी वह केजरीवाल के जेल से बाहर आने पर नहीं मिली। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक आम आदमी पार्टी को जो सुहानुभूति सुनीता केजरीवाल के मैदान में उतरने से मिल सकती थी वह केजरीवाल के बाहर आने से नहीं मिल पाई।
  4. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राजधानी में चुनाव प्रचार समाप्त होने से एक पखवाड़े से भी कम समय पहले जमानत पर रिहा कर दिया गया था। जेल से बाहर आते ही उन्होंने ताबड़तोड़ रैलियां की। उन्होंने बीजेपी को हर मौकों पर घेरा। लेकिन इसका लाभ पार्टी उम्मीदवारों को नहीं मिल सका। 
  5. दिल्ली में बीजेपी ने अपने सात मौजूदा सांसदों में से छह की जगह नए उम्मीदवारों को लाकर सत्ता विरोधी लहर को खत्म कर दिया था और ऐसा लग रहा है कि यह काम कर गया है। उत्तर पूर्वी दिल्ली में मनोज तिवारी को बनाए रखने का उसका फैसला रंग लाया। उन्होंने जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कांग्रेस के कन्हैया कुमार को 1.4 लाख से अधिक वोटों से हराकर लगातार तीसरा चुनाव जीता।

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