दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में एक जगह से उखाड़कर दूसरी जगह लगाए गए सभी पेड़ों के ‘‘बचे रहने की दर’’ का आकलन कराने वाली है और इसके लिए उसने देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान एफआरआई से संपर्क किया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल के अंत तक शहर के 23 स्थानों पर 12,852 पेड़ लगाए जा चुके हैं। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि लगाए गए पेड़ों के बचने की दर का आकलन करने के लिए एफआरआई की एक टीम प्रतिरोपित पेड़ों के संबंध में चयन मानदंड, गड्ढों के आकार, पेड़ों के स्वास्थ्य और बढ़ने तथा रख-रखाव के बारे में विश्लेषण करेगी।
संस्थान से प्राप्त एक प्रस्ताव के अनुसार, एफआरआई वैज्ञानिक सिंचाई आवृत्ति, मिट्टी में नमी, बनाए गए गड्ढों, बाड़ लगाने के उपायों, जैविक और अजैविक अवरोधों के खिलाफ सुरक्षा रणनीतियों का भी जायजा लेंगे। अधिकारी ने कहा कि अध्ययन संबंधित मंत्री की मंजूरी के बाद छह महीने की अवधि में किया जाएगा।
एफआरआई के निदेशक ए एस रावत उस टीम का नेतृत्व करेंगे, जिसमें करीब सात सदस्य होंगे, जो वन विज्ञान, नर्सरी और वन प्रबंधन में विशेषज्ञता रखते हैं। दिसंबर 2020 में दिल्ली सरकार ने पेड़ प्रतिरोपण नीति को अधिसूचित किया था, जिसके तहत संबंधित एजेंसियों को अपने विकास कार्यों से प्रभावित पेड़ों का न्यूनतम 80 प्रतिशत प्रतिरोपण करना आवश्यक है।
पिछले साल, एफआरआई ने 2016 से 2019 तक दिल्ली में किए गए वार्षिक पौधरोपण का ऑडिट किया था। इस महीने की शुरुआत में जारी ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 से 2019 के बीच दिल्ली में लगाए गए 72 फीसदी से 81 फीसदी पौधे बच गए हैं।