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Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की सत्येंद्र जैन को अयोग्य ठहराने वाली याचिका, जानें क्या है मामला

Delhi: पीठ ने कहा कि एक रिट याचिका में कही बातों के आधार पर जैन को ‘मानसिक रूप से अक्षम व्यक्ति’ घोषित नहीं किया जा सकता है और न ही उन्हें मंत्रिमंडल और विधानसभा से अयोग्य ठहराया जा सकता है।

Delhi MLA Satyendra Kumar Jain- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO Delhi MLA Satyendra Kumar Jain

Highlights

  • सत्येंद्र जैन पर दर्ज हैं कई मुकदमे
  • याचिकाकर्ता ने किया था दावा
  • 'ED के समक्ष खुद घोषित किया है कि उन्होंने अपनी याददाश्त खो दी है'

Delhi: हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सत्येंद्र जैन को ‘मानिसक रूप से अक्षम’ घोषित करने और इस आधार पर उन्हें विधायक एवं मंत्री पद के लिए अयोग्य ठहराने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रह्मण्यम प्रसाद की पीठ ने की सुनवाई। 

सत्येंद्र जैन पर दर्ज हैं कई मुकदमे

पीठ ने कहा कि एक रिट याचिका में कही बातों के आधार पर जैन को ‘मानसिक रूप से अक्षम व्यक्ति’ घोषित नहीं किया जा सकता है और न ही उन्हें मंत्रिमंडल और विधानसभा से अयोग्य ठहराया जा सकता है। पीठ ने कहा कि ‘आप’ विधायक विभिन्न अपराधों के लिए मुकदमे का सामना कर रहे हैं और कानून के अनुसार उचित कदम उठाने की जिम्मेदारी अदालत की है। 

कोर्ट ने 16 अगस्त के अपने आदेश में कहा, ‘‘यह सच है कि सत्येंद्र जैन आईपीसी और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन लॉ के तहत विभिन्न अपराधों के लिए मुकदमों का सामना कर रहा है। बहरहाल, तथ्य यही है कि Code of Criminal Procedure-1973 अपने आप में एक पूर्ण संहिता है, जो पूछताछ, जांच और मुकदमे के संबंध में एक व्यवस्था उपलब्ध कराती है।’’ कोर्ट ने कहा, ‘‘दंड प्रक्रिया संहिता में सभी आकस्मिकताएं शामिल हैं और कानून के अनुसार उचित कदम उठाने की जिम्मेदारी अभियोजन/कोर्ट की है।’’ 

याचिकाकर्ता ने किया था दावा

हाईकोर्ट ने कहा, ‘‘रिट याचिका में कही बातों के आधार पर यह अदालत भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत न्यायाधिकार का इस्तेमाल करते हुए प्रतिवादी नंबर पांच (जैन) को मानसिक रूप से अक्षम व्यक्ति घोषित नहीं कर सकती और न ही उन्हें विधानसभा या दिल्ली सरकार में मंत्री पद से अयोग्य ठहरा सकती है। इसके परिणामस्वरूप रिट याचिका खारिज की जाती है।’’ याचिकाकर्ता आशीष कुमार श्रीवास्तव ने अपनी याचिका में दावा किया था कि जैन ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समक्ष ‘खुद घोषित किया है कि उन्होंने अपनी याददाश्त खो दी है’ और निचली अदालत को भी इसकी जानकारी दी गई है।