नई दिल्ली: दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर जरूरत से चार गुना ज्यादा ऑक्सीजन मांगने का आरोप लगा है। ये खुलासा ऑक्सीजन संकट को लेकर बनी सुप्रीम कोर्ट की टास्क फोर्स की रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली सरकार द्वारा 1140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग की गई थी लेकिन उस समय दिल्ली को सिर्फ 289 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली की इसी मांग की वजह से करीब 12 राज्यों में ऑक्सीजन की किल्लत पैदा हुई थी।
बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मई में दिल्ली में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा था तब दिल्ली के कई अस्पतालों द्वारा हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया था और तुरंत ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ाने की अपील की गई थी। उस दौरान सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने 12 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन कर उनसे ऑक्सीजन वितरण, जरूरत और सप्लाई पर ऑडिट रिपोर्ट तलब की थी। इस टास्क फोर्स में दो सरकारी अधिकारी और देश के 10 जाने माने डॉक्टर्स भी शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस टास्क फोर्स को 6 महीने का समय दिया गया था, हालांकि इस दौरान समय-समय पर रिपोर्ट मांगी गई थी। कोर्ट ने इस टास्क फोर्स से ऑक्सीजन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने और बेहतर बनाने के लिए सुझाव मांगे थे।
अब रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली की इसी मांग के कारण करीब 12 राज्यों में ऑक्सीजन की किल्लत पैदा हुई थी क्योंकि तब की जा रही मांग के मुताबिक ऑक्सीजन की अतिरिक्त सप्लाई दिल्ली में की जा रही थी। ऑक्सीजन टास्क फोर्स के मुताबिक, 29 अप्रैल से 10 मई के बीच कुछ अस्पतालों में डाटा ठीक किया गया। दिल्ली सरकार ने इस दौरान 1140 MT ऑक्सीजन की ज़रूरत बताई थी, जबकि करेक्शन के बाद ये डाटा 209 एमटी पहुंचा।
टास्क फोर्स की ओर से सुझाव दिया गया है कि देश में ऑक्सीजन निर्माण के लिए एक नीति होनी चाहिए, बड़े शहरों के आसपास ही निर्माण की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि पचास फीसदी तक सप्लाई यहां से ही हो सके। इसके लिए दिल्ली-मुंबई को प्राथमिकता दी जा सकती है।