नई दिल्ली: दिल्ली में एक बार फिर वायु गुणवत्ता खराब होनी शुरू हो गई है। दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच पंजाब में किसानों ने पराली जलाना फिर से शुरू कर दिया है। बुधवार को बठिंडा के एक गांव से पराली जलाने की तस्वीरें सामने आई थी तब एक किसान ने कहा था हम पराली नहीं जलाना चाहते लेकिन दूसरे उपाय बहुत महंगे हैं। वहीं, आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को दिल्ली की हवा खराब होने का कारण बता रहे हैं।
मौसम में आ रहे बदलाव के साथ ही दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति के बावजूद धूल फैलने से रोकने में सफलता नहीं मिल पा रही है, जो चिंताजनक है। धूल फैलने से रोकने के लिए बनाए गए सख्त नियमों को धता बताकर निर्माण कार्य बदस्तूर जारी हैं, जो प्रदूषण के हालात को और भी अधिक गंभीर बना रहे हैं।
उत्तर भारत से मानसून की वापसी के बाद पंजाब और हरियाणा में खेतों में पराली जलाने के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई लेकिन स्थिति पिछले साल की तुलना में अब तक हालात बेहतर हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई। पंद्रह सितंबर से 10 अक्टूबर तक पंजाब में पराली चलाने की 764 घटनाएं दर्ज की गईं जबकि पिछले साल इसी अवधि में ऐसी 2,586 घटनाएं सामने आई थीं। संबंधित अवधि में हरियाणा में पराली जलाने की 196 घटनाएं हुईं जबकि पिछले साल इस दौरान ऐसे 353 मामले सामने आए थे।
आईएआरआई आंकड़ा दर्शाता है कि छह अक्टूबर तक पराली जलाने की घटनाएं बहुत कम थीं। छह अक्टूबर को दक्षिण पश्चिम मानसून पश्चिमोत्तर भारत से लौटने लगा था। पंजाब में एक अक्टूबर से पांच अक्टूबर तक पराली जलाने के बस 63 मामले सामने आये जबकि छह अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक ऐसे 486 मामले सामने आये। इसी प्रकार हरियाणा में एक अक्टूबर से पांच अक्टूबर तक पराली जलाने के बस 17 मामले सामने आये जबकि छह अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक ऐसे 172 मामले सामने आये।
संस्थान के वैज्ञानिक विनय सहगल ने बताया कि अक्टूबर के पहले सप्ताह में पराली जलाने के कम मामले सामने आए और उसकी वजह यह थी कि मानसून की देर से वापसी के कारण फसल की कटाई विलंब से शुरू हुई। उन्होंने जमीनी स्तर से प्राप्त रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, ‘‘यहां तक, जिन किसानों ने फसल कटाई कर ली थी उन्होंने भी पराली नहीं जलायी, क्योंकि वह गीली थी। सहगल ने कहा कि आईएआरआई को उम्मीद है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस सीजन में पराली जलाने की घटनाएं कम होंगी।