नई दिल्ली: दिल्ली और केंद्र सरकार में चल रहा झगड़ा कोई नया नहीं है। यहां किसी ना किसी विषय को लेकर विवाद बन ही रहता है। ताजा विवाद दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को लेकर था। नरेश कुमार का कार्यकाल 30 नवंबर 2023 को खत्म होने वाला था। लेकिन उससे पहले ही केंद्र सरकार ने उन्हें 6 महीने का विस्तार दे दिया। केंद्र के इस फैसले का दिल्ली की AAP सरकार ने विरोध किया था।
केंद्र सरकार को है पूरा अधिकार- सुप्रीम कोर्ट
इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला गया। जहां लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने माना है कि मुख्य सचिव को 6 महीने का सेवा विस्तार कानून का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की दलील मानी कि नए कानून के मुताबिक, अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार केंद्र को है और इस कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक नहीं लगाई है। वहीं सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि दिल्ली एक केंद्र शासित राज्य है और केंद्र सरकार को पुलिस, भूमि, सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित मुख्य सचिव का कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार है, जो दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षा से परे है।
केंद्र सरकार के पास था आज का समय
वहीं इससे पहले मंगलवार को इस मामले को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि आप एक ही व्यक्ति के ऊपर क्यों अटक गए हैं? क्या इस पद के लिए कोई दूसरा आईएएस अधिकारी नहीं है? क्या आपके पास कोई ऐसा आईएएस अधिकारी नहीं है जो इस पद को संभाल सके? इसके बाद कोर्ट ने केंद्र को अपने फैसले को विस्तार से बताने को कहा था और आज यानि 29 नवंबर तक का वक्त दिया था।
दिल्ली सरकार ने सेवा विस्तार का किया विरोध
वहीं दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए कोर्ट में दलील दी थी कि दिल्ली सरकार और मुख्य सचिव के बीच भरोसे की कमी है। इसलिए नरेश कुमार को सेवा विस्तार नहीं दिया जाना चाहिये। सिंघवी ने कहा कि मैं नहीं का रहा कि हमारे पसंद के व्यक्ति को मुख्य सचिव बनाया जाए। मेरा कहना है कि अधिकारियों में वरिष्ठतम को जिम्मेदारी दी जाए या फिर नामों का एक पेनल दें और उस पर दिल्ली के सीएम और उपराज्यपाल चर्चा करें।