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दिल्ली चुनाव: AAP से आए कपिल मिश्रा को मिला टिकट, BJP MLA हो गए दुखी, जानें क्या कहा

दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है, इसमें करावल नगर से टिकट आप से आए कपिल मिश्रा को दिया गया है। भाजपा विधायक इससे खफा हैं।

करावल नगर से कपिल मिश्रा को टिकट, भाजपा नेता दुखी- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO करावल नगर से कपिल मिश्रा को टिकट, भाजपा नेता दुखी

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने शनिवार को अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है। भाजपा ने पहली लिस्ट में भी 29 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया था और दूसरी लिस्ट में भी 29 उम्मीदवारों का नाम घोषित किया है। भाजपा ने आम आदमी पार्टी से आए कपिल मिश्रा पर भरोसा जताते हुए उन्हें करावल नगर सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। इससे करावल नगर के भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने पार्टी के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने "बड़ी गलती" कर दी है।

मोहन सिंह बिष्ट ने पिछले विधानसभा चुनाव में करावल नगर से आम आदमी पार्टी के दुर्गेश पाठक को हराया था। जिन्होंने 1998 से यहां से एक विधानसभा चुनाव को छोड़कर बाकी सभी चुनावों में जीत हासिल की है। बिष्ट ने कहा है कि वह दूसरी सीट पर नहीं जाएंगे और करावल नगर से ही अपना नामांकन दाखिल करेंगे।

भाजपा विधायक ने पार्टी पर लगाए आरोप

दिग्गज राजनेता बिष्ट ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "भाजपा सोचती है कि वे किसी को भी मैदान में उतारेंगे और वह जीत जाएगा तो यह एक बड़ी गलती है। केवल समय ही बताएगा कि बुराड़ी, करावल नगर, घोंडा, सीलमपुर, गोकलपुरी और नंद नगरी सीटों पर क्या होगा। मैं किसी अन्य सीट से चुनाव नहीं लड़ूंगा। मैं 17 जनवरी से पहले करावल नगर सीट से अपना नामांकन दाखिल करूंगा।"

उधर दूसरी तरफ करावल नगर से भाजपा के उम्मीदवार कपिल मिश्रा ने बड़ी जीत की भविष्यवाणी की है और कहा है, "करावल नगर के लोग उत्साहित हैं और हम यहां बड़ी जीत दर्ज करेंगे। दिल्ली में परिवर्तन की लहर है। बीजेपी दिल्ली में सरकार बनाने जा रही है।"

आप से भाजपा में आए कपिल शर्मा

बता दें कि साल 2015 के चुनावों में, कपिल मिश्रा ने आम आदमी पार्टी के टिकट पर करावल नगर सीट से चुनाव लड़ा था और भाजपा नेता बिष्ट को हराया था। वह आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार की कैबिनेट में कुछ ही दिनों के लिए शामिल भी हुए। आप के वरिष्ठ नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद 2017 में उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया और पार्टी से भी निलंबित कर दिया गया। इसके बाद 2019 में चुनाव से पहले मिश्रा भाजपा में शामिल हो गए और नागरिकता विरोधी कानून विरोध स्थलों को "मिनी पाकिस्तान" के रूप में बयानबाजी करने के बाद सुर्खियों में आए।