BJP Attacks Congress: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक बयान को लेकर शुक्रवार को उन पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि भगवान का शुक्र है कि मनमोहन सिंह ने 1991 में बतौर वित्त मंत्री नोटबंदी, कई दरों वाले जीएसटी तथा पेट्रोलियम उत्पादों पर बेहताशा कर लगाने जैसे कदम नहीं उठाए। इस पर भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने पलटवार करते हुए कहा कि सरकार में रहते हुए कांग्रेस हमेशा सिर्फ बोलने, लेकिन कोई निर्णय नहीं लेने की नीति पर अमल करती रही तथा चिदंबरम उसकी इस ‘अक्षमता’ का चेहरा हैं।
वित्त मंत्री के इस बयान पर चिदंबरम ने किया कटाक्ष
दरअसल, सीतारमण ने बृहस्पतिवार को एक कार्यक्रम में 1991 की तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों को 'आधे-अधूरे सुधार' करार दिया था और कहा था कि उस समय अर्थव्यवस्था सही तरीके से नहीं, बल्कि आईएमएफ द्वारा लगाई गई सख्ती के अनुसार खोली गई थी। उन्होंने कहा था, ‘‘जब तक भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद ग्रहण नहीं किया, तब तक कोई प्रगति नहीं हुई और बुनियादी ढांचे के निर्माण, सड़कों और मोबाइल टेलीफोन पर उनके द्वारा दिये गये ध्यान ने हमारी बहुत मदद की।’’
उनके इस बयान को लेकर पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने शुक्रवार को कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, ‘‘खबर है कि वित्त मंत्री ने यह कहा है कि 1991 के आर्थिक सुधार आधे-अधूरे (हाफ बेक्ड) थे। भगवान का शुक्र है कि मनमोहन सिंह ने नोटबंदी, कई दरों वाली जीएसटी और पेट्रोल एवं डीजल पर बेतहाशा कर लगाने जैसे हद से ज्यादा पके और स्वादहीन खाने नहीं परोसे।’’
'वित्त मंत्री ने बेकरी और खाना पकाने की भी पढ़ाई की है'
चिदंबरम ने यह तंज भी किया, ‘‘हम वित्त मंत्री का आभार प्रकट करते हैं कि उन्होंने इस बात खुलासा किया है कि उन्होंने विश्वविद्यालय में बेकरी और खाना पकाने की भी पढ़ाई की है।’’ भाजपा नेता मालवीय ने चिदंबरम के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा, ‘‘1991 के सुधार निश्चित तौर पर आधे-अधूरे थे, क्योंकि वे मजबूरी में किए गए थे, किसी प्रतिबद्धता और अकांक्षा के साथ नहीं किए गए थे। आजादी के बाद पहले चार दशकों में कांग्रेस की आर्थिक नीतियों के कारण ऐसी परिस्थिति पैदा हुई कि हमें अपने सोने बेचने और गिरवी रखने पड़े।’’
उन्होंने चिदंबरम पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘अटल जी के नेतृत्व में नयी दूरसंचार नीति, एनएचएआई, जीएसटी के विचार जैसे कई सुधार पूरी प्रतिबद्धता के साथ सामने आए। कांग्रेस हमेशा सिर्फ बोलने और कोई निर्णय नहीं लेने वाली स्थिति में थी और रहेगी। आप उस अक्षमता का चेहरा हैं।’’