दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ खान की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। खान को उम्मीद थी की उनको जमानत मिल जाएगी, लेकिन कोर्ट ने उनके मंसूबे पर पानी फेर दिया। दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ खान की जमानत याचिका खारिज कर दी और कहा, ''पुलिस अधिकारियों की गरिमा की रक्षा सुनिश्चित करने की सख्त जरूरत है।'' अदालत खान की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें कथित तौर पर एक पुलिस अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट करने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद शनिवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट शिखा चहल ने कहा, ''उपरोक्त कारणों तथा अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपी द्वारा समान अपराध करने और गवाहों को धमकाने व सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए, यह अदालत इस चरण में आरोपी को जमानत देने की इच्छुक नहीं है।''
खान पर पहले से छह मामले दर्ज हैं
उन्होंने कहा कि खान पर पहले से छह मामले हैं और पहले भी इसी तरह के मामले में एक लोक सेवक के काम में बाधा पहुंचाने और उस पर हमला करने के लिए उन्हें दोषी ठहराया गया था। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा कि खान किसी भी तरह की नरमी के लायक नहीं हैं, क्योंकि जांच अभी शुरुआती चरण में है। अदालत ने कहा कि लोक सेवकों के खिलाफ खान की भाषा, कार्रवाई और आचरण को सख्ती से देखा जाना चाहिए और कड़ी निंदा की जानी चाहिए।
शाहीन बाग पुलिस थाने में हुई थी FIR
खान के खिलाफ शाहीन बाग पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 186 (लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन से रोकना) और 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का इस्तेमाल) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।