कभी कहलाए AK-49, तो अब दूसरी बार भी कार्यकाल पूरा होने से पहले छोड़नी पड़ी कुर्सी, जानिए अरविंद केजरीवाल की मजबूरियां
अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर सीएम की कुर्सी बीच कार्यकाल में ही छोड़नी पड़ी है। पहली बार उन्होंने 49 दिन की सरकार चलाने के बाद सीएम की कुर्सी से इस्तीफा दिया था। इस बार विधानसभा चुनाव से कुछ महीनों पहले सीएम पद से इस्तीफा दिया है।
दिल्ली की कड़कड़ाती ठंड और बारिश के बीच अरविंद केजरीवाल ने आज से करीब 10 साल पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। तब 14 फरवरी, 2014 की तारीख थी। अरविंद केजरीवाल ने सिर्फ 49 दिन तक ही दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी। तब अरविंद केजरीवाल का सीएम पद से ये पहला इस्तीफा था। तब उन्होंने कई मजबूरियों को गिनाते हुए सीएम पद से इस्तीफा देने के ऐलान दिल्ली विधानसभा के अंदर किया था।
तब विधानसभा से निकल कर 14 फरवरी, 2014 की रात वह कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर के पास बने पार्टी कार्यालय पहुंचे। जहां पार्टी के नेताओं और मंत्रियों के साथ बैठक करने के बाद उन्होंने दिल्ली की कड़कड़ाती ठंड और बारिश के बीच उपराज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया था।
पहली बार इस्तीफा देने पर बताई थी ये वजह
बता दें कि 8 दिसंबर, 2013 को दिल्ली विधानसभा के नतीजे आए थे। भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 32 सीटें मिली थीं। आम आदमी पार्टी (AAP) को 28 और कांग्रेस को 8 सीटें मिलीं थी। कांग्रेस के समर्थन से अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बनते हुए सरकार बनाई थी। 49 दिन बाद ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन टूट गया था। केजरीवाल को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था। तब अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि वह विधानसभा में जनलोकपाल बिल नहीं पास करा पाए हैं, इसलिए वह सीएम पद छोड़ रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल ऐसे कहलाए AK-49
इसी साल 2014 में देश में लोकसभा के चुनाव भी होने थे। अरविंद केजरीवाल दिल्ली की राजनीति को छोड़कर लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए थे। तभी एक चुनावी रैली में पीएम नरेंद्र मोदी ने अरविंद केजरीवाल का बगैर नाम लिए उनपर AK-49 कहकर निशाना साधा था। इसके बाद से अरविंद केजरीवाल की पहली सरकार को AK-49 के नाम से जाना जाता है।
इस बार केजरीवाल के पास पूर्ण बहुमत की सरकार
वहीं, एक बार फिर अरविंद केजरीवाल को बगैर कार्यकाल पूरा किए सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा है। इस बार अरविंद केजरीवाल के पास पूर्ण बहुमत की सरकार थी। इसके बावजूद उन्हें सीएम की कुर्सी के पद से इस्तीफा देना पड़ा है। इसके पीछे भी अरविंद केजरीवाल की कई मजबूरियां हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल पर लगाईं कई पाबंदियां
पहली मजबूरी ये है कि अरविंद केजरीवाल पर कथित शराब घोटाले में शामिल होने का आरोप है। इसको लेकर वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में भी रहे। सीबीआई और ईडी ने उनसे इस मामले में लंबी पूछताछ भी की है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इस मामले में जमानत दे दी है। हालांकि, कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल पर मुख्यमंत्री रहते कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं।
- कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल न तो मुख्यमंत्री कार्यालय और न ही सचिवालय जा सकेंगे।
- किसी भी सरकारी फाइल पर तब तक दस्तखत नहीं करेंगे जब तक ऐसा करना जरूरी न हो।
- अपने केस को लेकर कोई सार्वजनिक बयान या टिप्पणी नहीं करेंगे।
- इस केस से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक पहुंच नहीं रखेंगें।
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बिना कार्यकाल पूरा किए दूसरी बार दिया CM पद से इस्तीफा
कोर्ट की इन पाबंदियों के चलते अरविंद केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा देना ही उचित समझा। 17 सितंबर, 2024 को उन्होंने ने एक बार फिर बिना अपना कार्यकाल पूरे किए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
दिल्ली विधानसभा चुनाव पर केजरीवाल की नजर
वहीं, अब अरविंद केजरीवाल आतिशी को सीएम बनाकर दिल्ली के विकास कार्यों को लेकर कई बड़े निर्णय ले सकेंगे। एक बार फिर अपने धारदार भाषण से सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधेंगे। इससे उन्हें अगले कुछ महीनों में दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में खासा फायदा मिल सकता है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी अपना वोट शेयर बढ़ा सकती है।