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केंद्र सरकार को किसानों के संघर्ष के आगे झुकना पड़ा, आज का दिन ऐतिहासिक: केजरीवाल

केजरीवाल ने कहा कि आज केंद्र सरकार को किसानों के संघर्ष के आगे झुकना पड़ा यह सिर्फ किसानों की ही नहीं बल्कि जनतंत्र की जीत है।

केंद्र सरकार को किसानों के संघर्ष के आगे झुकना पड़ा, आज का दिन ऐतिहासिक: केजरीवाल- India TV Hindi Image Source : ANI/TWITTER केंद्र सरकार को किसानों के संघर्ष के आगे झुकना पड़ा, आज का दिन ऐतिहासिक: केजरीवाल

Highlights

  • आज का दिन भारतीय इतिहास में 15 अगस्त और 26 जनवरी की तरह लिखा जाएगा-केजरीवाल
  • आज सिर्फ किसानों की जीत नहीं हुई है बल्कि जनतंत्र की जीत हुई है-केजरीवाल
  • दुख है कि 700 से ज्यादा किसानों ने अपनी जान गंवाई-केजरीवाल

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है और इसे सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि आज केंद्र सरकार को किसानों के संघर्ष के आगे झुकना पड़ा है। उन्होंने इस आंदोलन के दौरान जान गंवानेवाले किसान परिवारों के प्रति अपनी संवेदना जताई। केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात कही।

केजरीवाल ने कहा-भारत के इतिहास में आज एक सुनहरा दिन है, आज का दिन भारतीय इतिहास में 15 अगस्त और 26 जनवरी की तरह लिखा जाएगा, आज केंद्र सरकार को किसानों के संघर्ष के आगे झुकना पड़ा और तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े, आज सिर्फ किसानों की जीत नहीं हुई है बल्कि जनतंत्र की जीत हुई है।'

केजरीवाल ने आगे कहा-'आज किसानों ने सभी सरकारों को बता दिया, जनतंत्र में सरकारों को हमेशा जनता की बात सुननी पड़ेगी, सिर्फ जनता की मर्जी चलेगी। यह एक ऐसा संघर्ष था जिसमें पूरे देश को एक कर दिया, इस लड़ाई में किसानों के साथ मजदूरों युवाओं महिलाओं आढ़तियों और दुकानदारों ने सबने हिस्सा लिया, पूरा देश किसानों के साथ खड़ा था, 'देश विदेश में रहने वाले सारे भारतवासी एक हो गए।' 

केजरीवाल ने कहा-'इस संघर्ष ने पूरे देश को एक कर दिया। इसमें पूरा देश किसानों के साथ खड़ा था। धर्म जाति से ऊपर उठकर यह लड़ाई लड़ी गई । दुनिया के इतिहास में शायद ही इससे लंबा कोई आंदोलन चला होगा। इस आंदोलन को तोड़ने के लिए सरकार ने पूरी कोशिश की। किसानों को एंटी नेशनल कहा, खालिस्तानी कहा। हर तरह से उन्हें तोड़ने की कोशिश की। आजादी के दीवानों की तरह किसानों ने यह लड़ाई। सरकार उनका आत्मविश्वास और जज्बा नहीं तोड़ पाई। एक बात का दुख है कि 700 से ज्यादा किसानों ने अपनी जान गंवाई। अगर यह कानून पहले वापस लिए जाते तो वे जानें बचाई जा सकती थी।'