नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि पूरे देश में बिजली की स्थिति ‘बेहद नाजुक’ है, जबकि उनके कैबिनेट सहयोगी सत्येंद्र जैन ने दावा किया कि दिल्ली सरकार को महंगी गैस-आधारित और उच्च बाजार दर पर बिजली की खरीद करनी पड़ती है, क्योंकि एनटीपीसी ने शहर में बिजली की आपूर्ति आधी कर दी है।
CM केजरीवाल ने कहा कि बिजली संकट से निपटने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं और उनकी सरकार नहीं चाहती कि कोई भी 'आपातकालीन स्थिति' पैदा हो। उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘‘पूरे देश में स्थिति बहुत गंभीर है। कई मुख्यमंत्रियों ने इसके बारे में केंद्र सरकार को लिखा है। सभी मिलकर स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।’’
इससे पहले दिन में, बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा था कि दिल्ली सरकार को महंगी गैस आधारित बिजली के साथ-साथ उच्च बाजार दर पर हाजिर खरीद पर निर्भर रहना पड़ता है, क्योंकि एनटीपीसी ने शहर में बिजली की 4,000 मेगावाट की सामान्य आपूर्ति को घटाकर आधा कर दिया है।
केंद्र सरकार के सूत्रों ने दावा किया कि एनटीपीसी के पास दिल्ली में बिजली की आवश्यकता पूरी करने के लिए पर्याप्त कोयला है। उन्होंने यह भी कहा कि डिस्कॉम अपने दादरी पावर प्लांट से बिजली शेड्यूल कर सकती है।
जैन ने दावा किया कि नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के अधिकांश संयंत्र 50-55 प्रतिशत क्षमता पर चल रहे हैं, क्योंकि उनके कोयले का स्टॉक केवल एक-दो दिन का ही रह गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली अपनी अधिकांश बिजली एनटीपीसी से खरीदती है, लेकिन आपूर्ति आधी कर दी गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘4000 मेगावाट बिजली आपूर्ति करने वाली एनटीपीसी ने फिलहाल इसे आधा कर दिया है। इसने हमें गैस के माध्यम से बिजली बनाने की ओर अग्रसर किया है, जिसकी लागत 17.25 रुपये प्रति यूनिट है।’’
उन्होंने कहा कि दिल्ली में तीन गैस आधारित संयंत्र हैं जिनकी कुल क्षमता 1,900 मेगावाट है। बिजली मंत्री ने कहा, ‘‘केंद्र ने सस्ती गैस का कोटा समाप्त कर दिया है। हमें इसे खरीदना है और उत्पादन लागत 17.50 रुपये है, जो दीर्घकालिक नहीं है। इतना ही नहीं, हमें संकट के कारण 20 रुपये प्रति यूनिट की उच्च दर पर बिजली खरीदनी पड़ेगी।’’
जैन ने कहा कि केंद्र को कोयला संकट की बात माननी चाहिए और उसे इनकार की मुद्रा के बजाय समस्या से निपटना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र को पत्र लिखा है। पंजाब भी बिजली कटौती का सामना कर रहा है।