नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दस सूत्रीय ‘‘शीत कार्रवाई योजना’’ की सोमवार को घोषणा की, जिसमें कचरा जलाने, धूल और वाहनों से निकलने वाले धुएं की निगरानी के लिए दलों का गठन किया जाना शामिल है। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि केन्द्र और पड़ोसी राज्यों ने किसानों द्वारा पराली जलाए जाने को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। पराली जलाना सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है।
केजरीवाल ने केन्द्र और दिल्ली के पड़ोसी राज्यों से कटाई के बाद बचे पुआल के प्रबंधन के लिए जैव अपघटक का नि:शुल्क छिड़काव सुनिश्चित करने की अपील की, जैसा उनकी सरकार राष्ट्रीय राजधानी में कर रही है। उन्होंने वायु को स्वच्छ बनाने में सरकारों से मिल कर काम करने की अपील करते हुए कहा कि दिल्ली में धूल से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए 75 दलों का गठन किया गया है और शहर में प्रदूषण पैदा करने वाले स्थलों की निगरानी के लिए भी विशेष दल गठित किए जाएंगे।
प्रदूषण के खिलाफ दिल्ली का 10 सूत्रीय प्लान-
- पराली के लिए बायो डी-कंपोजर
- धूल के प्रदूषण पर कार्रवाई
- कूड़ा जलाने पर जुर्माना
- पटाखों पर प्रतिबंध
- स्मॉग टॉवर
- हॉटस्पॉट की निगरानी
- ग्रीन वॉर रूम
- ग्रीन दिल्ली ऐप
- भारत का पहला ई-वेस्ट पार्क
- वाहनों के प्रदूषण पर लगाम
सीएम केजरीवाल ने कहा कि वाहनों से होने वाले प्रदूषणों को कम करने के लिए चिह्नित 64 मार्गों पर यातायात जाम की समस्या को दूर करने के प्रयास किए जाएंगे। केजरीवाल ने कहा कि शहर में कचरा जलाने पर पूरी तरह से रोक का पालन कराने के लिए 250 दल गठित किए गए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि ‘हरित वॉर रूम’ को मजबूत बनाने और जागरुकता अभियान शीत कार्रवाई योजना का हिस्सा होंगे। प्रदूषण कम करने के वास्ते मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में डीज़ल वाले जनरेटर का उपयोग रोकने के लिए चौबीसों घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में फिलहाल वायु प्रदूषण नियंत्रण में है, लेकिन सर्दी के मौसम में पड़ोसी राज्यों में पराली जलने के साथ ही प्रदूषण बढ़ना शुरू हो जाएगा।