AAP ने आशा किरण आश्रय गृह प्रशासक की नियुक्ति पर उठाए सवाल, LG ऑफिस ने दिया ये जवाब
आम आदमी पार्टी ने आशा किरण आश्रय गृह के प्रशासक की नियुक्ति को लेकर उपराज्यपाल पर सवाल उठाए तो एलजी कार्यालय ने इसका जवाब दिया।
नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने आशा किरण आश्रय गृह के प्रशासक की नियुक्ति पर सवाल उठाए थे और उपराज्यपाल वी के सक्सेना को घेरने की कोशिश की थी। इस पर अब एलजी ऑफिस की तरफ से जवाब दिया गया है। एलजी ऑफिस ने कहा, 'आशा किरण होम के प्रशासक को आंतरिक रूप से समाज कल्याण विभाग द्वारा नियुक्त किया गया था, जो पूरी तरह से सीएम/मंत्री के नियंत्रण में स्थानांतरित विषय है। उन्हें एलजी द्वारा नियुक्त नहीं किया गया था। तत्कालीन एलजी की मंजूरी के बाद, उन्हें 15 फरवरी 2021 को दानिक्स अधिकारी के रूप में समाज कल्याण विभाग में तैनात किया गया था। इसके बाद मंत्री ने उन्हें आशा किरण होम के प्रशासक पद पर तैनात कर दिया। AAP द्वारा जारी किया गया प्रेस बयान पूरी तरह से गलत और भ्रामक है।'
एलजी ऑफिस ने ये भी कहा, 'राज कुमार आनंद के इस्तीफा देने के बाद से समाज कल्याण विभाग में कोई मंत्री नहीं है। जमानत पर बाहर रहते हुए भी सीएम अरविंद केजरीवाल को आनंद का इस्तीफा स्वीकार करने और इसे एलजी को भेजने का समय मिल गया, लेकिन उन्होंने एक संवेदनशील विभाग में एक नए मंत्री की नियुक्ति नहीं की। जबकि इसमें किसी भी अन्य विभाग की तुलना में राजनीतिक निगरानी की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। वहीं सौरभ भारद्वाज में जवाबदेही की बात करने का शर्मनाक दुस्साहस है?'
क्या है पूरा मामला?
दरअसल AAP ने शनिवार को उपराज्यपाल वी के सक्सेना से सवाल किया कि रिश्वत लेने के आरोप में पूर्व में निलंबित किये गये एक अधिकारी को आशा किरण आश्रय गृह का प्रशासक क्यों नियुक्त किया गया है, जहां जुलाई में 14 लोगों की मौत हो गयी।
आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि आश्रय गृह के प्रशासक राहुल अग्रवाल को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 2016 में रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था और वह पांच साल तक निलंबित रहे।
उन्होंने कहा, 'मैं जानना चाहता हूं कि किस आधार पर उपराज्यपाल ने राहुल अग्रवाल को आश्रय गृह का प्रशासक नियुक्त किया, जहां मानसिक रूप से कमजोर लोगों की असाधारण रूप से बड़ी संख्या में मौतों के बाद विभिन्न अनियमितताएं और कमियां सामने आई हैं।'
भारद्वाज ने उपराज्यपाल से यह भी सवाल किया कि इस मामले में आश्रय गृह प्रशासक और समाज कल्याण विभाग के सचिव के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। आप नेता ने कहा कि अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति का अधिकार उपराज्यपाल ने सेवा विभाग के माध्यम से अपने पास रखा है और इसकी जिम्मेदारी भी उन्हीं के पास है। भारद्वाज ने यह भी दावा किया कि ओल्ड राजेंद्र नगर और पूर्वी दिल्ली में हुई मौतों के अन्य मामलों में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) या दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
उन्होंने सवाल किया कि नालों की सफाई के लिए ‘थर्ड पार्टी’ ऑडिट की रिपोर्ट न देने के लिए मुख्य सचिव के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। मामले में आप विधायक दुर्गेश पाठक ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी समाज के लिए इससे बड़ा कलंक नहीं हो सकता। उन्होंने आरोप लगाया, 'हमें दो-तीन दिन पहले सूचना मिली कि वहां 14 लोगों की मौत हो गई है, क्योंकि उन्हें उचित पानी, भोजन और चिकित्सा सुविधाएं नहीं दी गईं।'
उन्होंने यह भी दावा किया कि अग्रवाल को पहले भी भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। पाठक ने मांग की, 'यहां सवाल उठता है कि यह जानने के बाद भी उपराज्यपाल ने अग्रवाल को आश्रय गृह का प्रभार क्यों दिया। दो दिन हो गए हैं, इन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अग्रवाल पर सतर्कता रिपोर्ट भी सार्वजनिक की जानी चाहिए।' दिल्ली सरकार ने रोहिणी स्थित आशा किरण आश्रय गृह में पिछले महीने 14 बच्चों की मौत की मजिस्ट्रेट जांच के शुक्रवार को आदेश दिए। उपराज्यपाल ने भी आशा किरण में हुई मौतों सहित दिल्ली सरकार के आश्रय गृहों के संचालन की जांच के निर्देश दिए हैं। (इनपुट: भाषा से भी )