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Hindi News दिल्ली दर्द के 16 साल: '5 मिनट में धमाके होने वाले हैं', बस एक ईमेल और सीरियल ब्लास्ट से दहल गई थी दिल्ली

दर्द के 16 साल: '5 मिनट में धमाके होने वाले हैं', बस एक ईमेल और सीरियल ब्लास्ट से दहल गई थी दिल्ली

आज ही के दिन 16 साल पहले महज 30-31 मिनट में राष्ट्रीय राजधानी अस्त व्यस्त हो गई थी। दहशत की एक शाम की टीस आज भी लोगों के दिलों में है। चाहकर भी दिल्ली अपने सीने से उसे खुरच कर निकाल नहीं पाई है। उस दौर में बम धमाकों का असर ये हुआ था कि लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गए थे।

delhi bomb blast- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO दिल्ली बम धमाका 2008

13 सितंबर 2008, दिन शनिवार, अगले दिन रविवार की छुट्टी। दिल्ली खुश थी, बाजारों की रौनक देखते ही बनती थी। तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने खुशियों को मातम में बदल दिया। एक के बाद एक बम धमाके हुए। गफ्फार मार्केट से शुरू सिलसिला ग्रेटर कैलाश में जाकर थमा। असमंजस की स्थिति थी और हंसती खेलती दिल्ली सिसकती, कराहती दिखने लगी। आखिर किसकी थी ये 'नापाक' साजिश? कौन खुशनुमा जिंदगियों को तबाह करना चाहता था?   

30 मिनट में 5 धमाके

महज 30-31 मिनट में राष्ट्रीय राजधानी अस्त व्यस्त हो गई। पहला ब्लास्ट 6 बजकर 7 मिनट पर, फिर 6. 34, 6.35 के बाद, 6.37 और आखिरी 6.38 पर। हर धमाके के पीछे एक ही सोच जान और माल का ज्यादा से ज्यादा नुकसान! पहला धमाके के लिए दहशतगर्दों ने गफ्फार मार्केट चुना। ऐसा बाजार जो अपनी इलेक्ट्रॉनिक्स शॉप्स के लिए जाना जाता है। इस धमाके में 20 लोग चोटिल हुए। इन्हें तुरंत आरएमएल अस्पताल ले जाया गया। विस्फोटक एक कार के बगल में खड़े ऑटो रिक्शा में रखा गया था।

कूड़ेदान में रखे थे बम

इसके कुछ ही देर बाद 2 धमाके दिल्ली का दिल कनॉट प्लेस में हुए। पॉश इलाके में बम कूड़ेदान में रखे गए थे। पहला धमाका निर्मल टावर और गोपाल दास भवन के नजदीक (बारखंभा रोड) पर हुआ। यहां बड़ी तादाद में पर्यटक और स्थानीय लोग जुटते थे। वहीं दूसरा धमाका नए नवेले सेंट्रल पार्क में हुआ।

Image Source : file photoदिल्ली बम धमाका 2008

अभी कनॉट प्लेस की तरफ सुरक्षा एजेंसियां मुड़ी ही थीं कि दो और धमाके ग्रेटर कैलाश-1 में हुए। पहला प्रिंस पान कॉर्नर के नजदीक और दूसरा कपड़े के बड़े शोरूम के पास। इस धमाके ने कई दुकानों को क्षति पहुंचाई।

24 लोगों की मौत, 100 से ज्यादा घायल

सीरियल ब्लास्ट में 24 लोगों की मौत हुई तो 100 से ज्यादा घायल हुए। पता चला कि योजनाबद्ध तरीके से बम प्लांट करने के बाद दिल्ली पुलिस को अनाम मेल भेजा गया जिसमें लिखा था- ''इंडियन मुजाहिदीन ने एक बार फिर हमला किया है... जो भी कर सकते हो करो। 5 मिनट में दिल्ली के अंदर धमाके होने वाले हैं। अगर रोक सको तो हमें रोक लो।'' इसे डिकोड करने की कोशिश की ही जा रही थी कि धमाकों का सिलसिला शुरू हो गया।

इन जगहों पर 4 बम किए निष्क्रिय

ये सिलसिला यहीं थमने वाला नहीं था बल्कि दिल्ली को और भी छलनी करने की प्लानिंग थी, लेकिन फिर महकमे की मुस्तैदी ने दहशतगर्दों के मंसूबे पर पानी फेर दिया। चार बम निष्क्रिय किए गए - पहला इंडिया गेट पर, दूसरा कनॉट प्लेस में रीगल सिनेमा के बाहर, तीसरा कनॉट प्लेस में और चौथा संसद मार्ग पर। नई दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत ने रविवार को कहा कि 20 लोग मारे गए और करीब 100 लोग घायल हुए। बाद में ये संख्या बढ़ी और मृतकों की संख्या 24 तक पहुंची।

घरों में कैद होने को मजबूर हो गए थे लोग

दहशत की एक शाम की टीस आज भी लोगों के दिलों में है। चाहकर भी दिल्ली अपने सीने से उसे खुरच कर निकाल नहीं पाई है। उस दौर में बम धमाकों का असर ये हुआ था कि लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गए थे। लगभग डेढ़ महीने बाद आई दिवाली कई घरों में अंधेरा लेकर आई थी। (IANS इनपुट्स के साथ)

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