कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर में बदमाशों ने पुलिस की एक टीम पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, जिसमें डीएसपी देवेंद्र मिश्रा और थाना प्रभारी समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। पुलिस की यह टीम हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे (Vikas Dubey) को पकड़ने के लिए गई थी। बता दें कि इन 8 पुलिसकर्मियों की शहादत का जिम्मेदार हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे एक खूंखार अपराधी रहा है। विकास दुबे के ऊपर लूट, डकैती, फिरौती और हत्या जैसे गंभीर अपराधों के 60 मामले दर्ज हैं। अब इस नई और सबसे बड़ी वारदात के साथ वह सूबे के मोस्ट वॉन्टेड अपराधियों में से एक हो गया है।
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19 साल पहले चर्चा में आया था नाम
विकास दुबे का नाम 19 साल पहले 2001 में पहली बार तब चर्चा में आया जब उसने कथित तौर पर थाने में घुसकर दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री एवं बीजेपी नेता संतोष शुक्ला की हत्या कर दी थी। बाद में उसने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था और कुछ ही महीने बाद जमानत पर बाहर आ गया था। इस खूंखार अपराधी ने राजनीति में भी एंट्री लेने की कोशिश की और कुछ हद तक कामयाब भी रहा। कानपुर देहात के चौबेपुर थाना क्षेत्र के विकरू गांव के निवासी विकास के बारे में बताया जाता है कि उसकी फौज में कई युवा हैं जिनके बल पर वह तमाम तरह के अपराधों को अंजाम देता है।
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राजनीति में भी की कदम जमाने की कोशिश
विकास दुबे ने पंचायत और निकाय चुनावों में इसने कई नेताओं के लिए काम किया और प्रदेश की सभी प्रमुख पार्टियों के नेताओं से अपने संबंध पुख्ता किए। दुबे ने फिर राजनीति में एंट्री की और नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भी जीता। हालांकि इसके बाद उसका राजनीतिक करियर ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विकास के खिलाफ यूपी के कई जिलों में 60 आपराधिक मामले चल रहे हैं। विकास की गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपये का इनाम भी रखा गया था।
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